आस्थावान भक्तों को मिला 17 गांठ का धागा
वाराणसी। भगवती अन्नपूर्णा का 17 दिनों का महाव्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष पंचमी यानी सोमवार से आरंभ हो गया, 17 दिनों तक भक्त नियमित रूप से मां अन्नपूर्णा की पूजा और कथा सुनेंगे। 17 साल, 17 महीने और 17 दिनों के व्रत के पहले दिन श्रद्धालुओं ने मंदिर के महंत शंकर पुरी के हाथों पूजित 17 गांठ का धागा प्राप्त किया।
अन्नपूर्णा मंदिर में 17 दिनों के व्रत के पहले दिन भोर में सविधि 17 गांठ वाले धागे का महत शंकर पुरी की मौजूदगी में विधि विधान से पूजन कर माता की पुस्तक व धागा वितरण आरंभ हुआ।
माता अन्नपूर्णा के इस महावत में भक्त 17 गांठ वाला धागा धारण करते हैं। इसमें महिलाएं बाएं और पुरुष दाहिने हाथ में इसे धारण करते हैं। इसमें अन्न का सेवन वर्जित होता है। केवल एक वक्त फलाहार किया जाता है वह भी बिना नमक का। 17 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान के उद्यापन के दिन 27 नवंबर को भगवृती मां अन्नपूर्णा की धान की बालियों से श्रृंगार होगा।
मां के गर्भ गृह समेत मंदिर परिसर को सजाया जाएगा और प्रसाद स्वरूप धान की बाली 28 नवंबर कों को सुबह से मंदिर बंद होने तक आम भक्तों में वितरण किया जाएगा। मान्यता यह भी है कि पूर्वाचल के बहुत से किसान अपनीफसल की पहली धान की बाली मां को अर्पित करते हैं और उसी बाली को प्रसाद के रूप में दूसरी साल की फसल में मिलाते हैं। वे मानते हैं कि ऐसा करने से फसल में बढ़ोतरी होती है।
महत शंकर पुरी ने कहा माता अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैविक, भौतिक का मुख प्रदान करता है और अन्न-धन, सुख शांति की कमी जीवन पर्यंत नहीं होती है।
