अंकित सिंह,भरगामा (अररिया):सुहाग की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ व्रत शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने सोलह श्रंगार कर अपने पति के मंगलमय और सुखी दांपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा-पाठ कर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घायु के लिए कामना की। दिनभर बाजार में भी खासी चहल-पहल नजर आई।
दुकानों में महिलाएं कपड़े और श्रंगार के अन्य सामान की खरीद में मशगूल दिखीं। शुक्रवार की देर शाम को भरगामा,महथावा,शंकरपुर,सिमर बनी,खजुरी का नजारा देखते हीं बना। सुहाग के जोड़े में सजी व्रती महिलाएं शाम के समय चांद के दीदार को हर पल आसमान की ओर टुकड़-टुकड़ झांकते नजर आईं। शाम के करीब 06:12 बजे चांद अपनी शीतल आभा लेकर आसमान में खिल उठा। महिलाओं ने दीप प्रज्वलित कर छलनी की ओट से चांद और फिर अपने सुहाग के दर्शन किए।
विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सुहागिनों ने अपना व्रत तोड़ा। पंडित हरेराम झा का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूरी की। इसी दिन से करवा चौथ के व्रत की शुरुआत मानी जाती है।
एक अन्य कथा के अनुसार,भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को पांडवों की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत करने को कहा था। द्रौपदी ने यह व्रत किया और पांडवों को दीर्घायु प्राप्त हुई। रानी वीरवती की कथा भी प्रचलित है,जिसमें उन्होंने अपने भाइयों द्वारा दिए गए धोखे के कारण पति को खो दिया था, लेकिन देवी पार्वती के आशीर्वाद से दोबारा व्रत रखकर पति का जीवन वापस पाया। ये कथाएं महिलाओं को करवा चौथ का व्रत निष्ठा और विश्वास से रखने के लिए प्रेरित करती है।