लक्ष्मी पूजन करने की पद्धति एवं महत्व !

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाईव : करने की क्षमता होती है। अक्षत में तारक एवं मारक लहरियां ग्रहण करके उनका संचारण करने की क्षमता होने से लक्ष्मी जी की पूजा करते समय अक्षत का अष्टदल कमल अथवा स्वास्तिक बनाते हैं। स्वास्तिक में निर्गुण तत्व जागृत करने की क्षमता होने के कारण श्री लक्ष्मी के आसन के रूप में स्वास्तिक बनाना चाहिए।

लक्ष्मी चंचल है ऐसा कहने का कारण – किसी देवता की उपासना की जाए तो उस देवता का तत्व उपासक के पास आता है एवं उसके अनुसार लक्षण भी दिखते हैं । उदाहरणार्थ श्री लक्ष्मी की उपासना करने से धन प्राप्ति होती है । उपासना कम हुई, अहम जागृत हुआ तो देवता का तत्व उपासक को छोड़कर चला जाता है, इन्हीं कारणों से श्री लक्ष्मी उपासक को छोड़कर जाती हैं। तब स्वयं की गलती मान्य न करके व्यक्ति कहता है लक्ष्मी चंचल है । यहां ध्यान में लेने लायक सूत्र यह है कि लक्ष्मी चंचल होती तो उन्होंने श्री विष्णु के चरण कब के छोड़ दिए होते। – परात्पर गुरु डाॅ. जयंत आठवले

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