बिहार न्यूज़ लाइव / बिहारशरीफ (नालंदा)27मई – भारतीय ज्ञान परंपरा का दुनिया में कोई जोड़ नहीं है। नालंदा ज्ञान परंपरा की अधिष्ठात्री भूमि रही है। नालंदा विश्वविद्यालय फिर से पुनर्जीवित हो रहा है। उसे बुलंदियों पर ले जाने के लिए जितना संभव हो सका उतना प्रयास किया गया है।नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुनैना सिंह अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद शनिवार को पत्रकारों से कहा। उन्होंने अपने 6 साल के कार्यकाल में किए गए उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि जब वे नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति बनाई गई थी ,तब विश्वविद्यालय को अपना भवन नहीं था।
किराए के भवन में कार्यालय फैकेल्टी छात्रावास और शिक्षक आवास था। 6 वर्षों के कड़ी मेहनत के बाद उनके द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में प्रशासनिक भवन फैकेल्टी लाइब्रेरी सभागार डायनिंग हॉल अनेकों सरोवर आदि का निर्माण कराया गया है ।यह विश्वविद्यालय जीरो नेट पर आधारित है ।उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय को फिर से पुनर्जीवित करने के बाद विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने के मार्ग को प्रशस्त की जा रही हैं।
उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर के कई कविताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब मन में लगन है ,तो कोई भी काम अधूरा नहीं रह सकता है ।
यह विश्वविद्यालय निरंतर आगे बढ़ते रहें ,शिक्षा के क्षेत्र में फिर से पुरानी गौरव को हासिल करें ,यह उनकी शुभकामनाएं हैं।उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्ययन अध्यापन अनुशासन एवं अन्य कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब मैं विश्वविद्यालय में कुलपति का प्रभार ग्रहण किया था । प्रस्तावित विश्वविद्यालय स्थल विरान पड़ा था, अब उस परिसर में 95 फ़ीसदी निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है, शेष कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि जो काम 10 से 15 वर्षों में होना था, वह काम उनके द्वारा 6 वर्षों में पू