नए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव की नई शुरुआत, अब मुख्यालय में दिखेगी प्रशासनिक सक्रियता
सोनपुर मेला समापन के बाद जिला मुख्यालय में लौटी रौनक, विकास योजनाओं में आएगी रफ़्तार
नए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव की नई शुरुआत, अब मुख्यालय में दिखेगी प्रशासनिक सक्रियता
ऐतिहासिक सोनपुर मेला का परदा गिरा: एक माह बाद अधिकारियों की वापसी से तेजी पकड़ेगी फाइलें
छपरा। देश–विदेश में अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गरिमा के लिए प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला का परदा आज औपचारिक रूप से गिर गया। लगभग एक माह तक चलने वाले इस अद्भुत मेले के समापन के साथ ही अब जिला मुख्यालय में फिर से रौनक लौटने लगी है। गुरुवार से सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों की नियमित उपस्थिति शुरू हो जाएगी, जिससे कई दिनों से ठप पड़ी विकास योजनाओं और लंबित फाइलों में गति आने की उम्मीद जताई जा रही है।
अधिकारियों की मुख्यालय में वापसी-फिर दौड़ेगी विकास की गाड़ी
हर वर्ष की भांति इस साल भी मेले के संचालन और प्रबंधन के लिए विभिन्न विभागों के लगभग सभी स्तर के अधिकारी सोनपुर मेला परिसर में तैनात रहे। मेले की सुरक्षा, स्वच्छता, परिवहन, पशु-चिकित्सा, कारोबार और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संभालने में अधिकारियों की पूरी टीम एक महीने तक वहीं डेरा डाले रहती है।
इस केंद्रीकृत तैनाती के कारण जिला मुख्यालय के दफ्तरों में अक्सर सन्नाटा पड़ा रहता है। अधिकारी मुख्यालय में मौजूद न होने पर कई कर्मियों को भी कार्यों के निष्पादन में बहाने मिल जाते हैं। लेकिन अब मेला समाप्त होते ही मुख्यालय की पूरी प्रशासनिक मशीनरी फिर अपने स्थान पर लौट रही है। गुरुवार से कार्यालयों में चहल-पहल, बैठकों की गतिविधियाँ, फाइलों की तेज़ी से आवाजाही और जनता से सीधा संपर्क
और फिर से पटरी पर लौटने वाला है।
नए जिलाधिकारी का योगदान,जिले को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद
इस बीच, छपरा जिले ने नए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का स्वागत भी किया है, जिन्होंने हाल ही में पदभार ग्रहण किया है। युवा और सक्रिय प्रशासनिक अधिकारी माने जाने वाले श्री वैभव के आने से जिले में नई कार्यशैली, पारदर्शिता और जिम्मेदारी की उम्मीदें और बढ़ गई हैं।
मेले की समाप्ति के साथ ही अब पूरा प्रशासन उनके निर्देशन में मुख्यालय में सक्रिय होगा। माना जा रहा है कि वे लंबित परियोजनाओं, फाइलों और ग्राउंड-लेवल मॉनिटरिंग को प्राथमिकता देंगे।
जिले की जनता में भी यह भावना है कि नए जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रशासनिक सक्रियता बढ़ेगी, जिससे कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएँ सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और शहरी सुधार परियोजनाएँ अब नई रफ्तार पकड़ेंगी।
सोनपुर मेला-विश्व प्रसिद्ध परंपरा, व्यापार और संस्कृति का मिलन उल्लेखनीय है कि सोनपुर पशु मेला सिर्फ एक व्यापारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की हजारों वर्ष पुरानी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
कहा जाता है कि यह मेला ‘हरिभक्तानंद’ और ‘गज-ग्राह युद्ध’ की पुराण कथाओं से जुड़ा है। यहां कभी विश्व के सबसे बड़े हाथी-बाज़ार लगते थे, जहां विदेशी व्यापारियों तक की आवाजाही रहती थी। आज भले ही पशु व्यापार सीमित हो गया हो, लेकिन मेले की पहचान आज भी जीवंत है।
लोक संस्कृति, ग्रामीण हस्तशिल्प पारंपरिक कला, सांस्कृतिक कार्यक्रम,पर्यटन, स्थानीय रोजगार आदि को लेकर यह मेला वैश्विक स्तर पर चर्चित बना हुआ है।
मेले का प्रशासनिक दबाव-और जिला मुख्यालय पर असर
इतिहास गवाह है कि सोनपुर मेला जितना भव्य है, उतना ही विशाल प्रशासनिक प्रबंधन भी मांगता है। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर वेटरनरी सेवाओं तक, सरकार हर साल पूरी तत्परता से तैयारी करती है। इसी वजह से अधिकारियों की बड़ी टीम एक महीने तक मुख्यालय से दूर रहती है। इस अनुपस्थिति का सीधा असर जिले के कार्यों पर पड़ता है- फाइलों का धीमा निष्पादन,निरीक्षणों में कमी,विकास परियोजनाओं की रिपोर्टिंग धीमी और आम जनता के कार्यों में देरी।लेकिन अब मेले के समाप्त होते ही पूरा प्रशासन वापस अपने मूल दायित्वों में सक्रिय होगा।अब बदलेगा माहौल-मुख्यालय में लौटेगी प्रशासनिक ऊर्जागुरुवार से उम्मीद है कि विभागीय बैठकों का सिलसिला शुरू होगा। अटकी फाइलें आगे बढ़ेंगी, निरीक्षण, मॉनिटरिंग और समीक्षा बैठकें तेज होंगीजनता के आवेदन और शिकायतों का निष्पादन तेज गति पकड़ेगा। वहीं नई ऊर्जा, नए जिलाधिकारी और मेले की समाप्ति-ये तीनों कारक जिले के प्रशासन को नई दिशा और रफ्तार देते दिखाई देने की उम्मीद जताई जा रही है हैं।
