बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: , छपरा ।लोकतंत्र दुनिया भर में प्रचलित सबसे लोकप्रिय व्यवस्था है। लोकतंत्र में हर नागरिक के पास समान अधिकार और समान अवसर होते हैं। लोकतंंत्र है- व्यक्तिगत हितों के ऊपर सामूहिक हित को तरजीह देना, हर आदमी की आवाज सुनना और उसपर अमल करना और कमजोर से कमजोर आदमी को भी सशक्त बनाना, कोई भी निर्णय जनता के विचार और निर्णय के आधार पर लेना। ठीक इसके परे, सरकार द्वारा लायी हुई नई बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 बिहार के तमाम नियुक्त नियोजित शिक्षकों पर जबरन थोपने का कार्य किया जा रहा है।
उक्त बातें बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के नेता डॉ पंकज भारती ने कही।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र वाले देश में सरकार को सभी के बातों को सुननी चाहिए। सभी के समस्याओं को देखनी चाहिए। परन्तु यहां मंजर जस्ट उल्टा हो गया है।
केवल अपनी बात कही और सुनायी जा रही हैं दुसरों के बातों को न ही सुनी जा रहा है और न ही देखी जा रहा है। यहां केवल अपने मन मुताबिक बात बोली जा रही है और नियम थोपी जा रही है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का इतिहास काफी संघर्षपूर्ण रहा है। आज जो कुछ भी है वह कही न कही बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का ही संघर्षात्मक प्रयास से है। यह लोकतांत्रिक संगठन है इसलिए यह स्वच्छ लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास करता है।
इसलिए यह दोनों पक्षों का सुनकर ही कोई निर्णय पर विश्वास करता हैं। इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा लगातार और कई मर्तबा सरकार को पत्र के माध्यम से शांतिपूर्ण और सकारात्मक वार्ता के लिए बोला गया, लेकिन सरकार द्वारा एक तक नही सुनी गयी और न ही कोई जवाब प्राप्त हुआ। इस प्रकार बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने विवश होकर आंदोलन का शंखनाद कर दिया।
यहां हालाकि सरकार को ही चाहिए की वे सभी संघ संगठनों को एक टेबल पर बैठाकर इस विषय पर वार्ता करे, सभी के बातों और भावनाओं को गंभीरतापूर्वक सूने और तब कोई निर्णायक कदम उठाए। लेकिन यहां मामला उल्टा चल रहा है। सरकार को संघ संगठनों द्वारा लगातार निमंत्रण और तारीख फिक्स करने के लिए पत्राचार किया गया, लेकिन इस विषय पर न तो कोई सुनवाई और न ही कोई कारवाई हुई। उल्टा वरीय अधिकारी द्वारा अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने वाले शिक्षक साथियों पर सख्त और कठोर कारवाई की आदेश का पत्र निर्गत किया जाता है। जो तानाशाही रवैया को दर्शाता है।
यहां संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। लेकिन सभी को मालूम होगी ही, की बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का इतिहास काफी क्रांतिमय रहा है। जब जब इसने आंदोलन किया है, तो कुछ ना कुछ प्राप्त करके ही शांत हुआ है। अब तो माहौल और ही हिमायती और प्रेरणादायक है। क्योंकि इससे केवल शिक्षक ही नही बल्कि तमाम आम लोग भी जुड़ रहे है। इसलिए इसबार का आंदोलन काफी मजेदार और ऐतिहासिक साबित सिद्ध होगा।
इसका दुसरा कारण यह भी है की राज्य नेतृत्व में संघर्ष की प्रतिमूर्ति आदरणीय महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जो काफी अनुभवी, आंदोलनों का पितामह, ना जाने कितने आंदोलनों को काफी करीब से देखे और समझें जाने वाले योद्धा रहे है, का सानिध्य, मार्गदर्शन और अनुभव मिलना भी इसबार के आंदोलन को धारदार और सफल बनाने मे कारगर शाबित होगा। राज्याध्यक्ष महोदय द्वारा भी ससमय लगातार दिशा-निर्देश और उचित परामर्श मिलना भी शिक्षकों के हौसले को अफजाई कर रहा हैं।
कुल मिलाकर देखा जाय तो राज्य के तमाम शिक्षकों के पक्ष में जो माहौल बना हैं। वह काबिले तारीफ है। संघ के तमाम अधिकारी, नेता, शिक्षक, शिक्षिका, पुस्तकालयाध्यक्ष, आदेशपाल समस्त लोग आपसी गिले शिकवे भूलकर सभी लोग इस मुद्दे पर एक हो चुके है।
तीसरा और अहम बात है कि 2024 का चुनाव भी होना है और यह शिक्षक आंदोलन भी काफी लम्बा चलने वाला है। अभी तो आंदोलन का शैशवावस्था है। बिहार के तमाम शिक्षक इसबार इस ऐतिहासिक लम्बी पारी को खेलने के लिए चट्टानी एकता के साथ दृढ़संकल्पित हो चुके है। सभी लोग चट्टानी एकता के साथ खड़े हैं।
अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने जब-जब आंदोलन किया है तो बिना कुछ प्राप्त किए आंदोलन को समाप्त नहीं किया है।।
” लश्कर कितने भी हो इसबार हम घुटने नहीं टेकेंगे,
क्योंकि हमारी रगों में इसबार खून नहीं जूनून दौड़ रहा है।। “
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