बिहार न्यूज़ लाइव /पटना डेस्क: घोटाले को लेकर लालू परिवार के खिलाफ एक्शन में कोर्ट. जी हां होली के आगमन से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. दरअसल नौकरी के बदले जमीन लेने के घोटाले को लेकर दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने मामले में आरोपी पूर्व रेल मंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती समेत 14 लोगों को 27 फरवरी को समन जारी किया है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को 15 मार्च को पेश होने के लिए कहा है. बता दें कि 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे.
आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे भर्ती में घोटाला हुआ था. कहा जा रहा है कि नौकरी लगवाने के बदले आवेदकों से जमीन और प्लॉट लिए गए. यह भूमि प्रचलित सर्किल रेट से कम और बाजार दर से काफी कम कीमत पर ली गई थी. सीबीआई के मुताबिक 2004 से 2009 की अवधि के दौरान, लालू प्रसाद ने उम्मीदवारों से…. रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप डी के पदों पर नौकरी के बदले….. अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन ली थी और आर्थिक लाभ प्राप्त किया था. पटना के रहने वाले कई लोगों ने खुद या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से …..लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में पटना स्थित अपनी जमीन बेची थी, वे ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल थे. वहीं सीबीआई ने इस मामले में जांच के बाद लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी मीसा भारती के खिलाफ मामला दर्ज किया. आरोप है कि जो जमीनें ली गईं वो राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर भी ली गईं.
सीबीआई ने जांच के दौरान ये पाया गया है कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और केंद्रीय रेलवे के सीपीओ के साथ साजिश रचकर ….जमीन के बदले में अपने या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया था. ऐसे में अब कोर्ट ने मामले में एक बार फिर मामले में कड़ा एक्शन लेकर लालू परिवार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है. इसकी एक वजह यह भी है कि बिहार में महागठबंधन की नई-नई सरकार बनी है….और पिछली बार जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे उसकी एक वजह यह भी थी कि लालू परिवार के द्वारा किये गए घोटालों को लेकर भाजपा लगातार हमला बोल रही थी और नीतीश कुमार के लिए इसका जवाब देना मुश्किल हो गया. इसकी वजह से उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया था. ऐसे में इस मामले में भी अगर कोर्ट के तरफ से कोई बड़ा फैसला आता है तो महागठबंधन की एकता खतरे में पड़ सकती है. अब देखना यह है कि मामले में 15 मार्च को कोर्ट में क्या कार्रवाई होती है.
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