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मयूटेशन के लिए रुपये लेना सीवान जिले के महाराजगंज भूमि सुधार उप समाहर्ता राम रंजय सिंह को पड़ गया महंगा, लिपिक संतोष कुमार के साथ निगरानी के हत्थे चढ़े

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मयूटेशन के लिए रुपये लेना सीवान जिले के महाराजगंज भूमि सुधार उप समाहर्ता राम रंजय सिंह को पड़ गया महंगा, लिपिक संतोष कुमार के साथ निगरानी के हत्थे चढ़े
महाराजगंज। महाराजगंज अनुमंडल में पदस्थापित भूमि सुधार उप समाहर्ता राम रंजय सिंह मंगलवार देर संध्या अपने महाराजगंज आवास से लिपिक संतोष कुमार के साथ निगरानी के हाथें रंगें हाथों रूपया लेते गिरफ्तार हुए।पटना के निगरानी विभाग कि टीम ने महाराजगंज के भूमि सुधार उपसमाहर्ता राम रंजय सिंह के नई बस्ती स्थित वार्ड संख्या -1 निवास पर मंगलवार कि रात छापेमारी किया। भूमि सुधार उपसाहर्ता राम रंजय सिंह का लिपिक संतोष कुमार राजेन्द्र चौक पर सुबोध कुमार सिंह से जैसे ही 30000 तीस हजार रुपए लिया तब तक पहले से जाल बिछाए निगरानी विभाग की टीम ने दबोच लिया। सीधे डीसीएलआर के आवास लेकर गई। वहा से निगरानी विभाग ने कुछ नगदी भी बरामद कि की नहीं इसका खुलासा नहीं हो पाया है। मगर निगरानी विभाग की टीम लिपिक को जैसे ही उनके आवास पर लेकर के गई और डीसीएलआर को गिरफ्तार कर अनुमंडल कार्यालय लेकर आई और पुनः वहां से डीसीएलआर को उनके आवास पर ले गई और आवास से आने के बाद 8 घंटे तक लगातार कार्यालय में निगरानी विभाग की टीम कागजों को खंगाल रही थी बहुत से दस्तावेज को जप्त कर निगरानी विभाग की टीम लेकर पटना चली गई।

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निगरानी की गिरफ्त मे डी सी एल आर महाराजगंज

अनुमंडल मुख्यालय के राजेंद्र चौक पर 7:27 मिनट पर लिपिक संतोष कुमार को 30000 रूपया के साथ निगरानी विभाग के टीम ने दबोच लिया और डीसीएलआर को उनके आवास से दबोचा।
पूरे मामले के बारे में बसंतपुर थाना क्षेत्र के सुबोध कुमार सिंह ने अपने जमीन के म्यूटेशन के लिए सारे डाक्यूमेंट्स डीसीएलआर के कार्यालय को दिए थे। सुबोध कुमार सिंह ने मीडिया से बताया कि खाता संख्या 168 सर्वे नम्बर 2191
1947 में रामलोचन सिंह रजिस्ट्री कराए आए थे। विक्रेता बंसजो उसी जमीन को फर्जी तरीके से
डां ऐ के साह की पत्नी रिता गुप्ता को 2022 में जमीन को रजिस्ट्री सूदा विक्री कर दिया । जब तक रामलोचन सिंह के पर पोता सुबोध कुमार सिंह इस बात को जानते तब तक डॉक्टर ए के साह जबरदस्ती जमीन का बाउंड्री कर लिए सुबोध कुमार सिंह ने इसकी शिकायत बसंतपुर सीओ को दिया। तात्कालिक सीओ ने उसकी जमाबंदी को रद्द कर दिया। यह मामला डीसीएलआर के कार्यालय में चला आया। सुबोध सिंह के नाम से म्यूटेशन करने के लिए रुपए का डिमांड डीसीएलआर के लिपिक संतोष कुमार के तरफ से होने लगा था। सुबोध कुमार सिंह पहुंच गए निगरानी विभाग और एक सप्ताह पहले निगरानी विभाग की टीम ने शहर के हर चौक चौराहा समेत संतोष कुमार और डीसीएलआर की रेकी करना प्रारंभ कर दी, 3 सितंबर की देर संध्या लिपिक संतोष कुमार और डीसीएलआर महाराजगंज राम रंजय सिंह को निगरानी विभाग ने गिरफ्तार कर पटना लेकर चली गई।
छापामारी दल में तीन निगरानी विभाग के डीएसपी समेत एक दर्जनों अधिकारी थे, हालांकि कितने रुपए की बरामदगी हुई यह निगरानी विभाग की टीम मीडिया से कुछ भी कहने से कतराती रही। 8 घंटे से ज्यादा छापामारी करने के बाद 4 सितंबर की सुबह 3:10 बजें डीसीएलआर राम रंजय सिंह और लिपिक संतोष कुमार को गिरफ्तार कर लेकर चली गई।
अपने कार्यालय से डीसीएलआर और लिपिक संतोष कुमार को जब निगरानी विभाग की टीम नीचे लेकर उतर रही थी तो डीसीएलआर ने कहा कि मुझे निगरानी विभाग की टीम पकड़ के ले जा रही है और संतोष कुमार ने कहा कि मुझे जबरदस्ती पैसा दिया गया मैं निर्दोष हूं।
छापामारी के समय कुछ लोगों को इसकी भनक लग गई की डीसीएलआर और लिपिक संतोष कुमार को निगरानी विभाग ने गिरफ्तार कर लिया है, लोगों ने कहा कि सुशासन की सरकार में ऐसा होना चाहिए।

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