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माँ सिद्धिदात्री देवी पार्वती का नौवां अवतार हैं ,माता को यश, विद्या, बुद्धि और बल की देवी के रूप में पूजा जाता है

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नवरात्रि में पूजे जाने वाले माँ शक्ति के नौ रूपों में से आख़री हैं।नवरात्रि की नवमी को इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि के व्रत को पूर्ण माना जाता है

संवाददाता/सौरभ मिश्रा

वाराणसी काशी नगरी क़े नव देवी क़े पूजन विधान में नवरात्रि में नौवें दिन माता सिद्धदात्री के दर्शन का विधान है.माता को यश, विद्या, बुद्धि और बल की देवी के रूप में पूजा जाता है माता को सभी सिद्धियों की दात्री कहा जाता है. नवरात्रि की नवमी को इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि के व्रत को पूर्ण माना जाता है

माँ क़े दर्शन से नवरात्री पूर्ण हो जाती हैं
नवरात्रि के आठ दिनों में जो भक्त देवी दरबार में हाजिरी नहीं लगा पाते हैं, वो नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री के दर्शन कर लेते हैं तो उनको नवरात्रि व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है. देवी पुराण में भी माता के महत्व का वर्णन है.

सिद्धि और मोक्ष देती हैं माँ

देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने माता सिद्धमाता की आराधना-तपस्या कर सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था. भागवत पुराण में भी लिखा है सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है

देवी सिद्धीदात्री माँ का स्वरूप

कमल पुष्प पर विराजमान माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं, और उनका वाहन सिंह है। जहां माता के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। वहीं, बाईं तरफ, उनके नीचे वाले हाथ में कमल का पुष्प और ऊपर वाले हाथ में शंख है। साथ ही देवी जी के सिर पर ऊंचा मुकुट है और उनके चेहरे पर मंद सी मुस्कान है।

माँ की महिमा
धर्म की रक्षा व मानव कल्याण क़े लिये इस रूप में आई थीं माँ सिद्धरात्री धरा पर दैत्यों के अत्याचारों को नष्ट करने के लिए तथा मानव के कल्याण व धर्म की रक्षा हेतु देवी माँ, सिद्धिदात्री के रूप में उत्पन्न हुईं थी। यह देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं।

माँ क़े पूजन दर्शन से मिलता हैं लाभ

देवी जी की पूजा से जातक से सभी कार्य सिद्ध होते हैं।माँ सभी सिद्धियों को देने वाली हैं, साथ ही वह हर प्रकार के भय व रोगों को भी दूर करती हैं। देवी जी अपने भक्तों के जीवन को और भी सुखद बनाने के रास्ते प्रदान करती हैं। माँ की परम कृपा से भक्तों को मोक्ष भी प्राप्त होता है।

 

मंदिर पहुंचने का स्थान
वाराणसी क़े कोतवाली अंतर्गत गोलघर क्षेत्र में हैं यहाँ बड़ा हीआसानी से पहुंच कर आप माता दर्शन कर आशीर्वाद लें सकते हैं सुबह भोर क़े पांच बजे से रात्रि दस बजे तक मंदिर खुला रहता हैं

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