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मधेपुरा : जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बड़ी लापरवाही, जिंदगी के बदले बाँट रहा है मौत।

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:बी पॉजिटिव ब्लड के थैले मे निकला बी निगेटिव ब्लड, बाल बाल बची जच्चे और बच्चे की जान।

:ब्लड बैंक प्रभारी ने दी सफाई टेक्निसियन के मिस्टेक से हुई गलती।

रंजीत कुमार /मधेपुरा

उत्तर बिहार के मधेपुरा मे सबसे बड़ा जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल,जिंदगी के बदले बांट रहा है मौत, सामने आई बड़ी लापरवाही, बी पोजेटिव ब्लड के थैले में निकला बी नेगेटिव ब्लड, बाल-बाल बची जच्चे और बच्चे की जान। दरअसल उत्तर बिहार के मधेपुरा में लगभग 800 करोड़ की लागत से बने भव्य जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक तरफ जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों, कर्मियों और संसाधनों की कमी से आम जनता परेशान हैं वहीं इन्हे कोई खास सुविधा नहीं ही मिल पा रही है तो वहीं अब दूसरी तरफ अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रक्त केंद्र मे इस गजब के कारनामे से एक साथ दो-दो जिंदगियाँ दांव पर लग गयी। मामला प्रसव पीड़ा से तरप रही महिला से जुडा है।

 

वहीं इस मामले को लेकर मधेपुरा जिला मुख्यालय के वार्ड संख्या 17 निवासी रोहित कुमार ने बताया कि 17 नवंबर को उनकी पत्नी को प्रसव के लिए मधेपुरा क्रिश्चियन अस्पताल में भर्ती करवाया गया। प्रसव डिलिवरी के दौरान पेसेंट को एक यूनिट बी पोजेटिव ग्रुप के रक्त की जरूरत पड़ गयी। आनन फानन में वो लोग जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित ब्लड बैंक पहुँचे, जहां डोनर के ब्लड डोनेशन पर उन्हें एक यूनिट ब्लड प्राप्त हुआ, जिसके थैले पर बी पोजेटिव अंकित था। लेकिन जब ब्लड लेकर वो क्रिश्चियन अस्पताल पहुँचे तो यहाँ उस ब्लड का क्रॉस एक्जामिनेशन किया गया तो उस बी पोजेटिव अंकित ब्लड के थैले के अंदर बी नेगेटिव ब्लड निकला। हालांकि बाद में मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में जाकर इसे एक्सचेंज भी किया गया और बी नेगेटिव ग्रुप का ब्लड पेसेंट को चढ़ाया गया।

 

रोहित कुमार ने कहा कि अगर क्रिश्चियन अस्पताल द्वारा ब्लड का क्रॉस एक्जामिनेशन नहीं किया जाता तो आज निश्चित रूप से उनकी पत्नी और गर्भ में पल रहे शिशु की जान खतरे में पड़ जाती तो उसका जिम्मेवार कौन होता। उनके परिजन और ब्लड डोनर अजय ठाकुर ने कहा कि मैंने खुद मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में ब्लड डोनेशन किया था और अगर बिना क्रॉस एक्जामिनेशन के यह ब्लड उनके पेसेंट को चढ़ा दिया जाता तो एक साथ दो-दो जिंदगियाँ खतरे में पड़ जाती।

 

मेडिकल कॉलेज की इस लापरवाही पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनका पेसेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहता तो क्या वहाँ उस ब्लड का क्रॉस एक्जामिनेशन करवाया जाता। वहीं इधर पूरे मामले को लेकर जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रक्त केंद्र प्रभारी डॉ. अंजनी कुमार ने कहा कि पिछले सप्ताह ये मामला हमारे प्रकाश में आया, जिसमें लैब टेक्नीशियन द्वारा गलती से गलत ब्लड ग्रुप का ब्लड दे दिया गया।

 

लेकिन जानकारी मिलने पर सही ब्लड दे दिया गया जिससे पेसेंट को कोई नुकसान नहीं हुआ। ये हमारे लैब टेक्नीशियन की गलती से हुआ है। हालांकि अब सवाल यह उठता है कि क्या मेडिकल कॉलेज के अधिकारी और कर्मी इतने लापरवाह हो गये हैं कि उनका क्रियाकलाप के सामने किसी की जिंदगी की कीमत कुछ भी नहीं है। सवाल यह भी है कि इस अमानवीय घटना के संज्ञान में आने के बावजूद इतने दिनों तक ऐसे लापरवाह अधिकारी और कर्मी के खिलाफ क्यों अस्पताल प्रबंधन कोई ठोस कार्यवाही करने से कतरा रही है। वहीं सिस्टम पर उठता है एक बड़ा सवाल? इन सवालों के कटघरे मे है JNKT मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सरकारी सिस्टम।

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