बिहार न्यूज़ लाईव / जलालपुर|कहने मे यह अटपटा लगता है कि शहीदो के मजारो पर अब हर वर्ष मेले नहीं लगते|लेकिन है कड़वी सच |सम्होता के लाल व पूंछ मे छ: जवानो के साथ छ: अगस्त 2013 को शहीद हुए प्रेमनाथ सिंह के शहादत दिवस पर अब परिवार और गांव के कुछ लोग ही श्रद्धांजलि देकर उन्हे याद करते है|सरकारी स्तर पर अब उन्हे भूला दिया गया है|स्थानीय नेता भी अब शहीद को भूल से गये हैं|शहीद प्रेमनाथ के शहादत के दिन सम्होता और सारण जिला खूब रोया था|
आक्रोशित लोग पाकिस्तान से उसी समय दो दो हाथ करने के लिए पाकिस्तान सीमा पर जाने के लिए तैयार थे|लोगों के आक्रोश को सरकार के प्रतिनिधियो ने शांत कराया|इसके लिए स्थानीय लोगो की मांगे भी स्वीकार की गई|शहीद के नाम कोपा सम्होता स्टेशन का नाम रखने, खेल स्टेडियम बनाने, कोपा से सम्होता जाने वाली सड़क का नामकरण करने व शहीद गेट बनाने सहित कुछ अन्य आसान मांगे शामिल थी|लेकिन आज दस वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई मांग पूरी नहीं हुई|अब तो शहीद की शहादत दिवस को भी भूलने लगे हैं| रविवार को सम्होता विनर्स क्लब के युवाओ ने शहीद के पिता राजकुमार सिंह को माला पहना कर व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया| सभी युवाओ ने एक स्वर से कहा कि ऐसे शहीद के पिता होकर आपने गौरवान्वित किया है|
वहीं क ई युवा काफी मायूस भी दिखे और बताया कि देश की लिए शहादत देने वाले जांबाज हमारे सैनिक भाईयों को कैसे यूं ही भूल जाते है|पूरे सम्होता व आस पास के ग्रामीण अपने लाल की शहादत की उपेक्षा पर काफी मायूस हैं|मौके पर राष्ट्रीय खिलाड़ी अमित कुमार,सोनू ,मुन्ना सिंह अ भिषेक चौबे अरविन्द सिंह पिंटू यादव सुमव यादव सहित दर्जनो युवा थे|
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