बिहार न्यूज़ लाइव /असरगंज, मुंगेर डेस्क:
कर्तव्य पालन से बड़ा ना कोई धर्म है, ना कोई पूजा। मानव जीवन में कर्तव्य परायणता सबसे बड़ा सद्गुण है। जीव को अपने किए हुए अच्छे बुरे कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है चाहे इस जन्म में या सैकड़ों जन्मों के बाद। लेकिन अपने कर्मों का फल सुख-दुख के रूप में होगी बिना कर्मों के बंधन से छुटकारा नहीं मिलता है। अतः मानव को बुरे कर्मों से बचते हुए सदैव सत्कर्म में लगे रहना चाहिए।
उक्त बातें संत पथिक जन्मोत्सव के अवसर पर संत नागा निरंकारी पथिक आश्रम असरगंज में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन गुरुवार को हरिद्वार से पधारे स्वामी सुबोध आनंद जी महाराज ने श्रोताओं से कही।भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने बताया कि प्रेम और भक्ति के बल पर ही नंद बाबा की पत्नी यशोदा मैया ने अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक भगवान श्री कृष्ण को अपना पुत्र समझ कर रस्सी के द्वारा ऊखल में बांध दिया। वात्सल्य मूर्ति ग्वालिन यशोदा ने भगवान को भी ऊखल में बांधकर के जो असंभव कार्य कर दिखाया वह कार्य ब्रह्मा शंकर आदि बड़े-बड़े देवता करने की बात भी नहीं सोच सकते।
अर्थात भगवान केवल प्रेम की रस्सी में ही बंध सकते हैं, प्रेम से ही प्रभु की प्राप्ति हो सकती है कोई साधक जब तक आदि साधन के बल से प्रभु को नहीं पा सकता है। सुबोध आनंद जी महाराज ने कहा_प्रेम और भक्ति के अधीन होकर ही भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के घर जा जाकर माखन चुराया और अपने ग्वाल बाल सखाओं को खिलाया। माखन चोरी गोप कन्याओं का चीर हरण कालीया नाग का मान मर्दन गोवर्धन पूजा आदि अनेक प्रसंगों का मार्मिक और आध्यात्मिक विवेचन प्रस्तुत किया गया। कथा के अंत में बाएं हाथ की एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को धारण किए हुए भगवान बालकृष्ण की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई।
Comments are closed.