संविधान के अंगीकरण की 75वीं वर्षगांठ पर देश की प्राचीन भाषा मैथिली और संस्कृत में संविधान की प्रति प्रकाशित
• आठवीं अनुसूची में शामिल बिहार की एकमात्र भाषा में भी संविधान की अनुवादित प्रति बिहारवासियों के लिए गौरव का विषय: संजय झा
• रुडी ने प्राचीन लोकप्रिय भाषा में संविधान की अनुवादित प्रति का प्रकाशन स्तुत्य व प्रशंसनीय बताया
• संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर विशेष आयोजन
• राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिरला सहित सभी दलों के सांसद मौजूद रहे
• राहुल राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित सभी दलों के सांसद मौजूद रहे
नई दिल्ली / छपरा: संविधान दिवस समस्त देशवासियों के लिए गौरवपूर्ण तिथि है, तथापि संविधान दिवस के 75वें वर्ष के अवसर पर बिहारवासियों को विशेष गर्व की अनुभूति हो रही है। कारण यह है कि संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में संविधान की प्रति का मैथिली अनुवाद लोकार्पित किया गया।
संविधान दिवस के अवसर पर संसद के संेट्रल हॉल में आयोजित विशेष कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद संयुक्त रूप से मीडिया से बात करते हुए सारण सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद श्री संजय झा ने उक्त बाते कहते हुए आगे कहा कि इसके साथ ही संसार की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत में भी अनुवादित संविधान की प्रति लोकार्पित हुई। विदित हो कि संविधान निर्माण के 75 साल पूरे होने पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान संसद के सेंट्रल हॉल में भी संविधान दिवस के मौके पर विशेष आयोजन किया गया। विशेष आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों सदनों के स्पीकर, और नेता विपक्ष राहुल राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित सभी दलों के सांसद मौजूद रहे।
जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष सह संजय झा ने इस संदर्भ में कहा कि मैथिली संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है जिसके कारण इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। पहली बार संविधान को अंगीकृत होने के 75 साल बीत गए, परंतु संस्कृत में या मैथिली में संविधान की मूल प्रति का अनुवाद पुस्तकाकार में प्रस्तुत नहीं किया गया था। पहली बार बिहारवासियों को मैथिली में संविधान की प्रति प्राप्त होगी। बिहार के पूर्व जनप्रतिनिधियों के प्रयास थे जहाँ मैथिली को आठवीं अनुसूची में जगह मिली, वहीं यह सबके परिश्रम और विकास का फल है कि बिहार की एकमात्र भाषा आठवीं अनुसूची में है जिसमें संविधान की अनुवादित प्रति उपलब्ध हो गई है। तीन करोड़ से अधिक की आबादी मैथिली बोलती है, जानती-समझती और लिखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का यह प्रयास विशेष सराहनीय है जिनके प्रयास से संविधान की प्रति मैथिली में अब उपलब्ध हो रही है।
सारण सांसद सह पूर्व केंद्री मंत्री रुडी ने कहा कि संस्कृत, भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। हमारे सभी प्राचीन ग्रंथ, धर्मग्रंथ और नीती के ग्रंथ संस्कृत में ही उपलब्ध हैं। उनकी रचना इसी भाषा में की गई। भारत के संविधान में या कई संवैधानिक संस्थाओं के सूत्र वाक्य पहले से ही संस्कृत में हैं। और संस्कृत की महत्ता को देखते हुए संविधान दिवस के 75वें वर्ष में इस अति प्राचीन लोकप्रिय भाषा में संविधान की अनुवादित प्रति का प्रकाशन स्तुत्य व प्रशंसनीय है। इसके लिए समस्त देशवासी और संस्कृत प्रेमी, माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार की भूरी-भूरी़ प्रशंसा कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में संस्कृत और मैथिली में संविधान की अनुवादित प्रति हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रतीक है।
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