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सारण: नौटंकी’ ने छपरा के रंगकर्म के इतिहास में जोड़े सुनहरे वरक़

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बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क:नौटंकी’ ने छपरा के रंगकर्म के इतिहास में जोड़े सुनहरे वरक़

 

 

 

 

 

 

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छपरा सदर। छपरा इप्टा की नवीनतम नाट्य प्रस्तुति ‘नौटंकी ऊर्फ कमलनाथ मजदूर, के मंचन के साथ छपरा के रंगमंच में एक सुनहरा वरक़ जुड़ गया। रविवार की शाम भिखारी ठाकुर प्रेक्षागृह में इप्टा छपरा द्वारा कविवर कन्हैया जन्मशती वर्ष पर इप्टा के 81 वें साल में आयोजित लोक रंग उत्सव में इप्टा कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन किया। लोक रंग उत्सव का आग़ाज़ करते हुए विद्वान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी डॉ० विभा कुमारी, एडीजे अतुल वीर सिंह, एडीजे प्रभात कुमार श्रीवास्तव, सचिव डालसा सह एसीजेएम धर्मेन्द्र पाण्डेय और इप्टा अध्यक्ष प्रो० (डॉ०) वीरेन्द्र नारायण यादव ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उद्घाटन सत्र में बिपिन बिहारी श्रीवास्तव, प्रो० लाल बाबू यादव, डॉ० शालिग्राम विश्वकर्मा, सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, मुंबई से आए फिल्म निर्देशक द्वय अनिकेत मिश्रा और धनंजय चौबे मौजूद रहे। 

 

 

 

 

 

 

 

लोक रंग उत्सव में बहुचर्चित नाटक “नौटंकी ऊर्फ कमलनाथ मजदूर” के मंचन ने छपरा में रंगमंच को एक नया उत्कर्ष प्रदान किया और एक अमीट छाप छोड़ी। नौटंकी और बिदेसिया शैली में प्रस्तुत नाटक में बिहारी मजदूरों के पलायन, पलायन की परिस्थितियों, महाजनी सभ्यता के बदले स्वरुपों-शोषण और परदेश उनके शोषण दमन फजीहतों की कारुणिक अभिव्यंजना लोक राग रागिनियों और नौटंकी के हास्य व्यंग्य में की गयी। 35 साल पूर्व बिपिन बिहारी श्रीवास्तव लिखित और निर्देशित इस नाटक का संगीत कंचन बाला- विनय कुमार, नृत्य कुमारी अनिशा और रंग परिकल्पना डॉ0 अमित रंजन ने की। 81 साल के लेखक बिपिन बिहारी श्रीवास्तव ने लाबार की भूमिका में अपने अभिनय गायन और नृत्य से न सिर्फ अभिनय का चरमोत्कर्ष पेश किया बल्कि धाकड़ अभिनेताओं को भी अभिनय का पाठ पढ़ा गये। लाबार 2 की भूमिका में रंजीत भोजपुरिया ने कलात्मक उत्कर्ष प्रदान किया‌। नायक कमलनाथ की भूमिका में रंजीत गिरि ने अपने गायन नृत्य और अभिनय से शमां बांधा तो बतौर अभिनेत्री डेब्यू कर रही लक्ष्मी कुमारी अपने अभिनय गायन और नृत्य से न सिर्फ रोमांचित किया बल्कि निर्देशक की उपलब्धि साबित हुईं। अमित रंजन ने नायक के पिता और खलनायक की भूमिका में श्रेष्ठ अभिनय प्रस्तुत किया। सूत्रधार की भूमिका में शैलेन्द्र कुमार शाही, किशुन की भूमिका में जीतेन्द्र कुमार राम, जज की भूमिका में प्रो० लाल बाबू यादव, फैक्ट्री मालिक की भूमिका में सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। प्रियंका कुमारी, कुमारी अनिशा, मान, जयप्रकाश मांझी, कुमार गौरव, रौनक कुमार जमे। नाटक की उपलब्धि इसका रंग संगीत रही, जिसे बड़ी खुबसूरती और दक्षता के साथ कंचन बाला, प्रियंका कुमारी, विनय कुमार, प्रिया कुमारी, शरद आनन्द, राम जतन राम (नाल), जंग बहादूर राम (नगाड़ा), रामजी पासवान (झाल) शैलेश कुमार शाही (विविध वाद्ययंत्र) ने नाटक को उत्कर्ष प्रदान किया। 

 

 

 

 

 

 

 

लोक रंग उत्सव के सांस्कृतिक सत्र में कंचन बाला, रंजीत गिरि, लक्ष्मी कुमारी, जीतेन्द्र कुमार राम, रंजीत भोजपुरिया, शरद आनन्द, प्रियंका कुमारी, प्रिया कुमारी आदि ने करीब आधा दर्जन जन गीतों की प्रस्तुति की। कुमारी अनिशा ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया। प्रियंका कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, जीतेन्द्र कुमार राम, रंजीत गिरि और कंचन बाला ने अपने गीतों ग़ज़लों से दर्शकों को झुमाया। लोक रंग उत्सव में एकमा इप्टा की सोनम मिश्रा की टीम ने लोकनृत्य की सधी प्रस्तुति दी। पूरे कार्यक्रम के दौरान छपरा के दर्शक आद्यांत कार्यक्रम से जुड़े रहे और मंच के भावों में डूबते उतराते रहे। अंत में जिला जज, न्यायिक पदाधिकारी गण और इप्टा के पदाधिकारियों ने कलाकारों को प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।

 

 

 

 

 

 

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