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सुल्तानगंज: बोलबम के छोटे से शब्द में अजीब शक्ति, समाकर शिवमय हो जाता भक्त…

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बोलबम के छोटे से शब्द में अजीब शक्ति, समाकर शिवमय हो जाता भक्त

देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी

कावड़िया पथ पर भक्ति का दिख रहा अनोखा मिसाल

बिहार न्यूज़ लाईव/  सुल्तानगंज डेस्क :: मोहित कुमार / सावन का महीना बाबा भोलेनाथ की अराधना के लिए शास्‍त्रीय रूप से पावन एवं मंगलकारी माना जाता है । पूरे सावन महीने में बाबा भोले नाथ की जयकारा गूंजायमान होती है। सावन का महीना जहॉं चारो ओर हरियाली,रिमझिम-रिमझिम बारिश की बूँदें सभी के मन को आह्लादित कर रही हैं।वही सावन शुरू होने के बाद जैसे जैसे समय बीत रहा है शिव भक्तों का परवान चढ़ता ही जा रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की अनवरत रैला अजगैवीनगरी पहुंच रही है। कोई अनोखा काँवर लेकर तो कोई श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता को काँवर में लेकर दर्शन कराने बाबा नगरी जा रहे हैं।

 

तो कोई जत्था तैयार कर ढोल नगाड़ों की थाप पर झूमते हुए महादेव का जयकारा लगाते हुए अजगैवीनगरी से बाबा नगरी की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। जिस वजह से कांवरिया पथ पर हर रोज भक्ति का एक अनोखा मिसाल देखने को मिल रहा है। सावन मास का पाँच दिन बीतने के बाद अब पूरी तरह पूरा क्षेत्र केसरिया रंग में सराबोर हो गया है।कांवर के रुनझुन रुनझुन घंटी की आवाज अगरबत्ती की सुगंध से पूरा क्षेत्र सुगंधित हो चुका है। तो वही उत्तरवाहिनी गंगा घाट किनारे संध्या में होने वाले गंगा महाआरती इस मेले की भव्यता को और बढ़ाती है। साथ ही साथ पूरा मेला क्षेत्र में जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम बाबा भोलेनाथ के भक्तों को आनंदित करती है।

 

शिवभक्त कठिन रास्ता का नहीं करते प्रवाह

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सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम की दूरी 105 किलोमीटर का है यह फासला कांवरियों को पैदल ही पार करना होता है।इस रास्ते में उबड-खाबड़ पथरीली जमीन नदी, नाले पहाड़ी की चढ़ाई वगैरह सभी तरह की परेशानियां झेलनी होती है।

 

लेकिन कांवरिया इसकी परवाह नहीं करते उन्हें तो बाबा शंकर के अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं देता। बोल बम का नारा उन्हें अपने साथ बहा ले जाता है। एक बार कावर उठा लेने के बाद शिवभक्त कुछ और ही बन जाता है। वह शिव के धुन में समाकर शिवमय हो जाता है। उसके मन में बस एक ही धुन सवार हो जाती है। अपने आराध्य देव शिवजी को गंगा जल अर्पित करने की। चाहे कुछ भी हो जाए उसे ऐसा करने के अलावा और कोई ताकत रोक नहीं सकती। अटल निश्चय कांवर का संकल्प सिर्फ मौत ही तोड़ सकती है। और कोई नहीं बोलबम के छोटे से शब्द में अजीब शक्ति है। इसी मंत्र के सहारे हर कांवरिया 105 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर लेता है।हालांकि कुछ लोग बस या कार से भी कांवर लेकर जाते हैं। जाहिर है इन्हें कुछ घंटे ही लगते हैं लेकिन जो लोग पैदल ही यह यात्रा करते हैं उनमें सबसे जल्दी पहुंचने वाले होते हैं डाक बम और सबसे ज्यादा समय लेने वाले कांवरिया होते हैं जो साष्टांग लेटकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं।

दूसरे राज्यों से शिव भक्तों के आने का सिलसिला लगातार जारी

दूसरे राज्य सहित दूसरे देशो से भी कावड़िया का जत्था

उत्तरवाहिनी गंगा तट पहुंच रहे हैं।इस दौरान काँवरिया ने बताया कि बाबा भोलेनाथ के दरबार में कई वर्षों से लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।सावन माह में बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। बाबा भोलेनाथ हमारी सारी मनोकामना पूर्ण करती है।

मेले की व्यवस्था को देख कांवरिया हो रहे खुश

श्रावणी मेले की व्यवस्था को देखकर कावड़िया काफी खुशी व्यक्त कर रहे हैं। जहाज घाट पर बनारस के तर्ज पर बने गंगाघाट भी कावड़िया को खूब आकर्षित कर रही है। ज्यादातर कांवरिया नए बने गंगा घाट पर ही स्नान कर जल भरकर बाबा की नगरी को प्रस्थान कर रहे हैं। हालांकि पिछले वर्ष की तरह ही बनारस के तर्ज पर बने जहाज घाट पर भी प्रशासन द्वारा काफी बेहतरीन व्यवस्था की गई है। इस वजह से कावड़िया व्यवस्था की खूब सराहना कर रहे हैं।काँवरिया ने बताया कि पिछले साल की तरह इस बार बेहतर व्यवस्था दिख रही है। नया गंगा घाट पर सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि इस सारी मुकम्मल व्यवस्था की गई है। कावड़िया के सुख सुविधाओं का ख्याल रखा गया है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से जगह जगह मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया गया है।

 

 

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