गौतम अडानी के अरबपति बनने का असली सच आया सामने !

Rakesh Gupta

 

 

बिहार न्यूज़ लाइव /पहले फर्श से पहुंचे अर्श पर और फिर अर्श से फर्श पर पहुंचने के नजदीक हैं गौतम अडानी. जी हां एक तरफ जहां विपक्षी पार्टियों के साथ साथ RBI की अडानी ग्रुप पर टेढ़ी नजर है तो दूसरी ओर अडानी समूह को अमेरिकी शेयर बाजार से झटका लगा है. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज को डाओ जोंस सस्टेनबिलिटी इंडेक्स से हटाने का फैसला लिया गया है. 7 फरवरी 2023 से अडानी इंटरप्राइजेज इस इंडेक्स में ट्रेड नहीं करेगा. अमेरिकी शेयर बाजार ने अपने इंडेक्स में इस बदलाव किए जाने की जानकारी दी है. बयान में कहा गया कि स्टॉक में हेराफेरी और अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोपों के बाद इंडेक्स से हटाने का फैसला लिया गया है. यानी कि अडानी ग्रुप को लगातार झटके पर झटका लग रहा है.

 

ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल यह भी उमड़ रहा होगा कि आखिर गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर बनते बनते ऐसी स्थिति में कैसे आ गए. तो आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं. दरअसल भारत में कर्ज एक दाग की तरह है. गांव में अभी भी लोग कर्ज लेना ठीक नहीं मानते और कर्ज ले लेने पर उसे चुकाना लोगों का पहला कर्तव्य होता है. वैसे भी हर कोई नीरव मोदी या विजय माल्या नहीं होता. लेकिन गौतम अडानी ने कर्ज के दम पर अपना इतना बड़ा एम्पायर खड़ा कर लिया कि उनकी गिनती दुनिया के बड़े अमीरों में होने लगी. जी हां किसी भी कम्पनी को मजबूत बनने के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है लेकिन गौतम अडानी ने अलग फंडा अपनाया. मतलब एक कंपनी का पैसा दूसरा कारोबार खड़ा करने में लगाओ….जरूरत पड़े तो कर्ज ले लो. वहीं फिच की ताजा रिपोर्ट आपको चौंका देगी. बता दें कि मार्च, 2022 में अडानी एंटरप्राइजेज का कर्जा और ऑपरेटिंग इनकम का अनुपात 10 गुना था. यानी कि इसका सीधा मतलब है कमाई से दसगुना ज्यादा कर्ज. एक तरफ कर्ज दूसरी ओर नए-नए सेक्टर्स में अडानी की नजर.

 

गौतम अडानी मानो पूरे बिजनस यूनिवर्स पर छा जाना चाहते हैं…अब तो उनको एयरपोर्ट्स मैनेजमेंट का भी ठेका मिल गया है. जब 2019 में ऐसा पहली बार हुआ तब इस कंपनी को एयरपोर्ट संभालने का कोई भी अनुभव नहीं था. यही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन ईकोसिस्टम भी तैयार करने का टारगेट अडानी ने बना लिया है… तो इन साब कामों के लिए पैसे लगेंगे ही…लेकिन ये आएगा कहां से. देखें तो अडानी के कुल कर्ज में 40 प्रतिशत अपने देश के बैंकों से है…इसमें भी 30 परसेंट सरकारी बैंकों ने दिया हुआ है और दस परसेंट निजी बैंकों ने.

 

इसीलिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी के अलावा बैंकों के शेयर भी गोता लगा रहे हैं. यही नहीं हमारे देश के मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड में से एक लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया यानी एलआईसी ने भी अडानी में लगभग 30 हजार करोड़ रुपए लगाया हुआ है. कंपनी का कहना है कि वो अभी फायदे में है लेकिन इसने लाखों लोगों को चिंता में जरूर डाल दिया है. अब देखना यह है कि अडानी प्रकरण में आगे कौन सा सच निकल कर सामने आता है.

 

 

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