छह साल तक के लिए पार्टी से किए गए निष्कासित
बिहार न्यूज़ लाइव बक्सर डेस्क : पिछले कुछ दिनों से बक्सर सांसद केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के विरोध में मोर्चा खोलने वाले दो पूर्व जिलाध्यक्षों पार्टी से निकाल दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रह चुके दोनों पूर्व जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर और राणा प्रताप सिंह पर यह आरोप लगा है कि वह पिछले कुछ दिनों से पार्टी विरोधी आचरण कर रहे थे. इस बात की जांच कराई गई और सत्यता प्रमाणित होने पर उनके विरुद्ध यह कार्रवाई की गई है. पार्टी के प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्यपाल नरोत्तम ने इस संदर्भ में पत्र जारी करते हुए दोनों नेताओं को यह कहा है कि उनके विरुद्ध पार्टी विरोधी आचरण की बात प्रमाणित होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के आदेशानुसार यह कार्रवाई की गई है.
दरअसल, पिछले कुछ समय से पार्टी के ये दोनों कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे का जमकर विरोध कर रहे थे. पहले तो उन्होंने सांसद पर यह आरोप लगाया कि वह पार्टी में अपने हिसाब से पदाधिकारियों का मनोनयन करवा रहे हैं और कई लोगों को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा. बाद में उनके द्वारा यह भी आरोप लगाए जाने लगा कि अपने 9 साल के कार्यकाल में सांसद ने विकास के कोई कार्य नहीं किए. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी के द्वारा चलाए जा रहे अभियान नौ साल बेमिसाल कार्यक्रम से भी खुद को दूर रखा है. ऐसे में पार्टी का यह मानना है कि उनके आचरण से जनता के बीच पार्टी की छवि खराब हो रही थी.
अन्य विरोधियों को भी मिलेगा सबक :
दरअसल, केंद्रीय मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे के विरोध में उन्हीं के पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता मुखर होकर बोलने लगे हैं. पार्टी का यह भी मानना है कि ऐसा वह किसी दूसरे दल अथवा जनप्रतिनिधि के बहकावे में आकर कर रहे हैं.
ऐसे में पार्टी का प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखते हुए कार्रवाई करना शुरू कर चुका है. अब उन लोगों के सामने भी उहापोह की स्थिति है जो आंतरिक कलह को सतह पर ला रहे थे. दोनों जिलाध्यक्षों के अतिरिक्त अन्य ऐसे नेताओं पर भी अब कार्रवाई तय मानी जा रही हैं जो सांसद के विरोध के नाम पर पार्टी के अनुशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं.
निर्णय के खिलाफ किला मैदान में होगी सभा :
पार्टी के इस फैसले के बाद पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ने कहा कि पार्टी का आदेश सर्वोपरि है लेकिन संसद का विरोध जारी रहेगा. बक्सर को यह जानने का अधिकार है कि आखिर 9 साल में मंत्री के द्वारा किया गया एक भी कार्य धरातल पर क्यों नहीं उतरा? गोकुल ग्राम योजना, रेलवे ओवरब्रिज तथा बक्सर को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने समय कई बातों के बारे में यहां जब जनता कार्यकर्ताओं से पूछती है
तो वह जवाब नहीं दे पाते. नगर के ऐतिहासिक किला मैदान में इस निर्णय के खिलाफ एक बैठक होगी और उसी बैठक से आगे की रणनीति तय की जाएगी. पूर्व जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर ने कहा कि हमारी पहचान पार्टी से नहीं खुद से है. कलम की स्याही कम पड़ जाएगी लेकिन बागियों की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होगी. अश्विनी चौबे को तो यहां से जाना ही होगा.
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