वाराणसी : जगतजननी माँ अन्नपूर्णेश्वरी कि मंदिर को धान कि बालियों से सजाया गया है| अन्नपूर्णा मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुरानी है धान के बाली की परम्परा। ये चौथी पीढ़ी निर्वाहन कर रही हैं। किसान धान की पहली फसल के रूप में अर्पित करते है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े किसान के समय से चली आ रही है परम्परा।
काशी के विश्वनाथ गली स्थित अन्नपूर्णा मंदिर है जिनको अन्न की देवी भी कहा जाता है। पुराणों में कहा गया ही की प्राणियों के अन्न के खातिर स्वयं महादेव ने भगवती अन्नपूर्णा के आगे झोली फैलाई थी।धान के बालियों की परम्परा की बात करें तो कई दशक पुरानी है जिसे आज भी चौथी पीढ़ी निभाती चली आ रही है। मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था से जुड़े स्वर्गीय नारायण मिश्र के समय वर्ष 1960 से इस परम्परा निर्वाहन होता आ रहा है। नारायण मिश्र सोनभद्र के पन्नूगंज थाना, गांव जयमोहरा के छोटे से किसान थे। हर वर्ष अपनी फसल का कुछ अंश माता को अर्पित करते थे।जिससे इनकी फसले अच्छी होने लगी।
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