भागलपुर: शिक्षक की भूमिका में दिखे कुलपति, मैनेजमेंट गुरु ने अधिकारियों सहित विश्वविद्यालय और कॉलेज कर्मियों को पढ़ाया एकाउंट्स का पाठ।
भागलपुर,बिहार न्यूज़ लाईव। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के कुलपति प्रो. जवाहर लाल शुक्रवार को शिक्षक की भूमिका में दिखे। उन्होंने मारवाड़ी कॉलेज के प्रशाल में अधिकारियों सहित विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के कर्मियों को एकाउंट्स का पाठ पठाया।
इतना ही नहीं वीसी ने छात्रों की भूमिका में हॉल में मौजूद विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय के एकाउंट्स से जुड़े लेखापाल व संबंधित कर्मचारियों से सवाल-जवाब भी पूछे और उन्हें क्लास वर्क और होम वर्क भी दिया। कुलपति ने लगातार तीन घंटे तक कर्मियों को एकाउंटेंसी की जानकारी दी। मौके पर क्लास वर्क के तौर पर उनसे कई प्रश्नों के जवाब भी लिखने को कहा। कुछ कर्मचारियों को तो सीधे बोर्ड पर सवाल हल करने को कहा गया। हालांकि कुछ कर्मी जवाब देने में लड़खड़ाए भी। जिन कर्मियों ने कुलपति के सवालों का जवाब दिया उन्हें शाबाशी भी दी गई।
कुलपति के इस पहल से कर्मियों में कौतूहल का विषय बना रहा।वीसी प्रो. लाल पूर्व से निर्धारित समय दोपहर के बारह बजने से कुछ मिनट पहले ही मारवाड़ी कॉलेज पहुंच गए। कॉलेज पहुंचने पर वे सीधे क्लास रूम में गए जहां कक्षा में छात्र की जगह अधिकारी और कर्मी बैठे थे। कुलपति ने कहा की वे आज कॉमर्स और मैनेजमेंट विषय के शिक्षक के रूप में क्लास लेने आए हैं।बोर्ड पर कर्मियों को एकाउंटिंग की जानकारी देते हुए कुलपति ने इसके अर्थ, परिभाषा को स्पष्ट करते हुए विभिन्न प्रकारों की चर्चा की। उन्होंने बताया की एकाउंटिंग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। ब्रिटिश सिस्टम एकाउंटिंग और अमेरिकन सिस्टम एकाउंटिंग।
ब्रिटिश एकाउंटिंग सिस्टम की लोकप्रियता और प्रयोग के बारे में कहा की ये दो तरह के होते हैं- सिंगल इंट्री सिस्टम और डबल इंट्री सिस्टम। जिसमें डबल इंट्री सिस्टम डेबिट और क्रेडिट के रूप के दो तरह से एकाउंट्स को प्रभावित करता है। उन्होंने एकाउंट्स का वर्गीकरण करते हुए कहा की तीन तरह के एकाउंट्स होते हैं – पर्सनल एकाउंट्स, रियल एकाउंट्स और नॉमिनल एकाउंट्स।.
उन्होंने कहा की एकाउंट्स की पहचान जरूरी है की कौन सा किस एकाउंट्स की श्रेणी में आता है। जब तक एकाउंट्स के स्वरूप को नहीं पहचानिएगा तब तक एंट्री वर्क नहीं हो सकता है। उन्होंने कर्मियों को डेबिट और क्रेडिट करने के नियमों और प्रक्रियाओं से अवगत कराया।.
वीसी ने कहा की कॉमर्स के लोगों के समक्ष रोजगार के कई विकल्प खुले हुए हैं। रिटायरमेंट के बाद भी कर्मी एक कुशल एकाउंटेंट के रूप में काम कर सकते हैं। एकाउंटेंट की मांग बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी दफ्तरों, उद्योग-धंधों में है। कॉमर्स के लोग कभी खाली हाथ नहीं बैठ सकते हैं। उनकी मांग विभिन्न क्षेत्रों में काफी है।कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने एकाउंटेंसी की भूमिका, गोल्डन रूल्स ऑफ एकाउंटेंसी, लेजर, जर्नल, ट्रायल बैलेंस, रिसिप्ट एंड पेमेंट आदि की विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने कहा की नॉलेज के लिए इंटरेस्ट और दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी है। वीसी ने बताया की एकाउंटिंग रूल्स नेचर के अनुरूप बनाया गया है। एकाउंट्स के नेचर को पहचानना जरूरी है। उन्होंने एकाउंट्स में डबल इंट्री सिस्टम की विस्तार से जानकारी दी। साथ ही वाउचर तैयार करने की विधि से भी कर्मियों को अवगत कराया।
कुलपति प्रो. लाल ने कहा की वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए इस तरह के वर्कशॉप का आयोजन लगातार आगे भी किए जायेंगे। इससे कर्मियों में वित्त संबंधी जानकारी अपडेट होती रहेगी। उन्होंने कहा की राजभवन के नियमों और निर्देशों का पालन करना विश्वविद्यालय का काम है। वित्तीय अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। कॉलेजों और विभागों के एकाउंट्स अपडेट रहने चाहिए। कैश बुक हमेशा अद्यतन करते रहें। कॉलेजों में कैश बुक, लेजर और वाउचर की जांच किसी भी समय की जा सकती है। इसलिए हिसाब-किताब को चुस्त दुरुस्त रखें। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय के एकाउंटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं रहने के कारण अक्सर ऑडिट ऑब्जेक्शन होते रहते हैं। इससे निजात पाने के लिए ही एकाउंट्स पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। आगे भी कम से कम पंद्रह क्लास लिए जायेंगे।
वर्कशॉप के दौरान उपस्थित सभी कर्मियों की हाजिरी भी ली गई। उन्होंने कहा की सूचना के बावजूद भी यदि कोई अनुपस्थित पाए गए तो ऐसे लोगों से स्पष्टीकरण पूछा जाएगा।
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