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सोलह श्रृंगार के साथ महिलाओं ने किया वट सावित्री का व्रत।

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पति के लंबे उम्र एवं रक्षा के लिए महिलाएं करती है वट सावित्री पूजा

फ़ोटो कैप्सन- वट सावित्री की पूजा अर्चना करने जाते महिलाएँ।

बिहार न्यूज़ लाइव / अजय रंजन, फारबिसगंज

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फारबिसगंज प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना की। हरीपुर, परवाहा, सैफगंज, मुसहरी, मिर्जापुर, ढोलबज्जा, सिमराहा, सिरसिया आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजा अर्चना किया। इस मौके पर सुहागिन स्त्रियां वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा कर अपने सुहाग की सलामती व उसकी लंबी उम्र और अच्छी सेहत की प्रार्थना की। महिलाओं ने आज निर्जला व्रत भी पूरे दिन रखी। बरगद के पेड़ की परिक्रमा व पूजा अर्चना कर अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की।

 

वट सावित्री पर्व पर बरगद की पूजा का विशेष महत्व है। महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार व लाल जोड़े में बरगद के पेड़ पर सूत बांधकर उसकी परिक्रमा किया। वट सावित्री व्रत की कथा सावित्री व सत्यवान की कथा से जुड़ी हुई है जहां माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज की प्रार्थना कर सुहाग वापस पाया था हालांकि इस बार कोरोना की महामारी की वजह से ज्यादातर महिलाएं घरों पर ही प्रतीकात्मक तौर पर पूजा अर्चना कर रही हैं लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में सुहागिनें घर से बाहर निकल कर बरगद यानी वटवृक्ष की परिक्रमा कर पारंपरिक तौर पर रस्मे निभाई।

वही पूजा के दरमियान सविता देवी ने कहा कि वट सावित्री का व्रत पर्व पूरी दुनिया में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।

वही प्रियंका वर्मा ने कहा कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक माता सावित्री ने अपना सुहाग बचाने को मृत्यु के देवता यमराज को फैसला बदलने पर विवश कर दिया था। इस पौराणिक घटना में माता सावित्री ने न सिर्फ अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की बल्कि सुहाग के प्रति अपने समर्पण ऐसा अनूठा उदाहरण पेश किया कि वह समूची दुनिया में पूजी जाने लगीं। माता सावित्री से जुडी इस कथा के बाद से ही सुहागिन औरतें अपने पति की रक्षा, उनकी लम्बी उम्र की कामना और आरोग्य के लिए निर्ज़ल व्रत रहकर पूजा-अर्चना करती हैं. कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए वट सावित्री की पूजा की थी।

 

 

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