हाजीपुर: ऐतिहासिक गाँधी स्मारक पुस्तकालय में आयोजित हुई वैशाख माह की कवि-संगोष्ठी….

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाईव हाजीपुर डेस्क:  _डॉ० संजय (हाजीपुर) -ऐतिहासिक गाँधी स्मारक पुस्तकालय में रविवार को वैशाख माह की कवि-संगोष्ठी आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता, वरिष्ठ कवि शालिग्राम सिंह अशान्त ने की तथा संचालन, डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने किया । इस कवि-संगोष्ठी में उपस्थित कवियों ने अपनी-अपनी रचना से काफी प्रभावित किया और वाहवाही पाई। साथ ही दो नन्हीं बच्चियों ने अपनी भाव-भंगिमा के साथ मार्मिक रचना की आवृत्ति पाठ से सबका मन हर्षित कर दिया।

 

कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ रंगकर्मी, मनोरंजन वर्मा की सामयिक रचना -हम आज तिमिर में आलोक बिछाये बैठे हैं–से हुई। इसके बाद प्रवीण सागर ने गेय रचना -जीवन समर में बहुरंग कितने, किसी ने रूलाये किसी ने हंसाये—की प्रस्तुति की जिसपर खूब वाहवाही हुई। इसके बाद वरिष्ठ कवि डॉ० अशोक कुमार सिंह ने अपनी पुस्तक की एक रचना – रौशन है सारी कायनात फकत जिसके नूर से — सुनाकर तालियाँ बटोरी।इस क्रम में वरिष्ठ कवि शंभु शरण मिश्र ने – सारी तपिश जो मन में थी वह शोला बन गया और- धरती के छाती पर कोन बसा रहल हए कंक्रीट के जंगल सुनाकर तालियाँ बटोरी। वरिष्ठ कवि आशुतोष सिंह ने गेय रचना- जाने कब चांद विखर जाए घने जंगल में,घर के चौखट पर दीप जलाए रखिए — सुनाकर खूब वाहवाही और तालियाँ बटोरी।वरिष्ठ कवि डॉ० शिवबालक राय प्रभाकर ने – प्रजातंत्र की धरती से शंखनाद कर विकसित राष्ट्र हेतु करें मतदान –सुनायी तो वाहवाही हुई। इस क्रम में साहित्यानुरागी विजय कुमार सिंह ने गेय रचना-सुनो मेरे हमदम मेरे हम राही —सुनाकर वाहवाही पाई।

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इस क्रम साहित्यानुरागी मेदनी कुमार मेनन ने — जनता भूखी रह गई नेता मालामाल सुनाकर तालियाँ बटोरी। इसके बाद दो नन्हीं बच्ची शुभी और सिल्की ने अपनी भाव-भंगिमा के साथ डॉ० संजय ‘विजित्वर’ की मार्मिक गीतमयी रचना- ले ली तूने स्वर्णिम जिन्दगी,कहो कैसे करूँ तेरी वंदगी?–की आवृत्ति पाठ सुनाकर खूब वाहवाही और तालियाँ बटोरी। इस क्रम में सोनपुर से पधारे डॉ० वीर मणि राय ने –हरि हृदय हरक्षण रहता है इधर उधर मैं क्यों भटकूँ? -सुनाकर तालियाँ बटोरी। सोनपुर से पधारे वरिष्ठ कवि सीताराम सिंह ने -कौन जाने अब कहाँ पर है डगर वो प्यार की? –सुनाकर भाव-विभोर कर दिया, खूब तालियाँ बजी।

 

इस कवि-संगोष्ठी के संयोजक और कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने सामयिक गीतमयी रचना- बाजारों में बढ रहे हैं दाम सोचिए—-क्यों करते दिखावे में प्यार सोचिए —सुनाकर खूब वाहवाही और तालियाँ बटोरी। इसके बाद कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि शालिग्राम सिंह अशान्त ने —‘गर इश्क़ और मोहब्बत की इतनी ही तमन्ना है तो आग के दरिया से गुजर क्यों नहीं जाते? —सुनाकर खूब वाहवाही लूटी और तालियाँ बटोरी। अन्त में मनोरंजन वर्मा ने उपस्थित कवियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर रानी कुमारी, रंजीत कुमार सिंह, वीर भूषण, रोहित, अनिल लोदीपुरी तथा बाबू साहेब की भी उपस्थिति रही।

 

 

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