*सृजन सेवा कार्यों के साथ पुष्कर अरण्य प्रदक्षिणा परवान पर चढ़ी*
*300 वर्ष पुरानी बावड़ी की सफाई की *गाँव गाँव में जागरूकता का संदेश यात्रा दे रही
(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर: मंगलवार तीसरे दिन की यात्रा गांव थांवला मे पंच कुण्डिय यज्ञ से प्रारंभ हुई।थानेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हुए योगी भृत्ती हरि के आश्रम भेरुजी पर पहुंची ।वहां सामूहिक जप का कार्यक्रम रहा ,वहां से बालाजी मंदिर होते हुए बाड़ी घाटी, तिलोरा, डूंगरिया खुर्द, रेवंत, मझेवला चौराहै से होकर कड़ेल पहुंचीं । वहां ग्राम प्रदक्षिणा कर शेषनाग मंदिर पर दर्शन किए । जप किया एवं वापस मझेवला विद्यालय में विश्राम स्थल पर पहुंचे। यहाँ महेंद्र सिंह राठौर एवं सरपंच कड़ैल और ग्राम वासियों द्वारा यात्रा का स्वागत भोजन आवास की व्यवस्था की । प्राप्त जानकारी के अनुसार यह यात्रा प्रतिवर्ष प्रदक्षिणा की जाती है । जगह जगह पवित्र स्थानों मंदिरों में साधकों द्वारा सामूहिक जप पाठ आदि कर गाँव गाँव में जागरूकता का संदेश यात्रा दे रही हैं ।फला हार की व्यवस्था की गई ।यात्रा अपने निर्धारित मार्ग थांवला से प्रारंभ होकर भेरुजी , आसान कुंडियां रातातुंडा, निंबोला, बिस्वा,सनेडीया, पीह, रघुनाथपुरा ,बाड़ी घाटी, तिलोरा, कोठी बांसेली, चित्रकूट धाम, देवनगर होती हुई मझेवला पहुंची। मीडिया प्रभारी शिवचरण चतुर्वेदी ने यात्री दल के आगे आगे साइकिल पर माता भगवती देवी की सवारी चलती है। जिसमें 500 यात्रियों के दल का नेतृत्व साहब सिंह फौजदार और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राजेश्वरी देवी कर रही हैं। यात्रा में राजस्थानी भजनों से सभी का मन मोहक कार्यक्रम हुआ, साथ साथ मनोरंजन भी करते चलते हैं।रास्ते में पड़ने वाले सभी धार्मिक स्थानों में अपनी श्रद्धा समर्पण करते हुए साधनारत होकर आध्यात्मिक ऊर्जा का संवहन कर रहे हैं। सेवा कार्यों में मंगलवार को टहला की 300 वर्ष पुरानी बावड़ी की सफाई की गई । पंचायत भवन के बड़े परिसर में पौधारोपण किया गया । बताया जाता है कि यह बावड़ी नरसिंह दास जी बाराहाट संत जो सैकड़ो वर्ष पूर्व हुए उनकी तपस्थली रही है। यह गांव संत परंपरा और शौर्य परंपरा का ऐतिहासिक गांव है। ओंकार सिंह जी लखावत अध्यक्ष धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति ने कहा कि मेरे गांव के लिए मैं ज्यादा क्या कहूं । आप सरकार को ही कहें,यह परिक्रमा का गांव है ।और यहां ऐतिहासिक गैलरी पैनोरमा आदि बनाए जाने आवश्यक है। टोलियां द्वारा घर-घर यज्ञ एवं शिवाभिषेक किए जा रहे हैं । अब तक ढाई सौ से अधिक घरों में यज्ञ एवं 53 शिवालयों पर अभिषेक किए गए हैं। कड़ेल की गौशाला विद्यालय मे 50 बड़े पौधे लगाए गए।