पुष्कर मेला 2025: पुष्कर की धोरों में गुंजी ऊंट और घोड़ों की रुणझुण, सजे बाजार; उमड़े देशी-विदेशी सैलानी*

Rakesh Gupta
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**संस्कृति और आस्था का अनोखा संगम *धार्मिक मेला 2 से 5 नवम्बर तक होगा

(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर;विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला 2025 का आगाज हो गया है। रेतीले धोरों में ऊंटों की रुणझुण और घोड़ों की टापों के साथ एक बार फिर मरुस्थल में परंपरा, संस्कृति और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। पशुपालन विभाग की ओर से पशु मेला कार्यालय स्थापित कर दिया गया है। यह मेला आगामी 5 नवंबर तक चलेगा। मेले में पशुओं की लगातार आवक जारी है, वहीं देसी-विदेशी पर्यटकों का आना भी शुरू हो गया है।

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मेले में अब तक 207 पशु पहुंच चुके हैं, जिनमें 196 ऊंट, 10 घोड़े और एक बैल शामिल हैं। पशु मेला प्रभारी डॉ. सुनील घिया के अनुसार पशुपालक ऊंटों और घोड़ों के साथ डेरा डाल चुके हैं। घोड़ा पालक अपने घोड़ों के लिए अस्थायी और स्थायी अस्तबल तैयार कर रहे हैं। इस बार भी मेला तीन चरणों में आयोजित होगा- पशु मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक मेला है ।पुष्कर मेला मैदान और उसके आसपास के क्षेत्र में दुकानें सज चुकी हैं। हस्तशिल्प, पारंपरिक आभूषण, कपड़े और ऊंट-सामग्री बेचने वाले व्यापारी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं।

वहीं, विदेशी सैलानियों की आवाजाही ने मेले में रौनक बढ़ा दी है। अजय रावत द्वारा रेत पर बनाई गई आकर्षक कलाकृतियां भी पर्यटकों का ध्यान खींच रही हैं।सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं। 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी मेले में सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे। भीड़भाड़ वाले इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की गई है ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और सैलानियों को किसी तरह की असुविधा न हो। हालांकि मेला शुरू होने के बावजूद मैदान की चारदीवारी की पुताई अब तक नहीं की जा सकी है, जिस पर अभी भी ‘पुष्कर मेला 2024’ लिखा हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही पुताई कर इसे अपडेट किया जाएगा।

पुष्कर के बाजारों, सरोवर के घाटों और ब्रह्मा मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। दीपावली के बाद से ही पुष्कर का माहौल धार्मिक उत्सव में बदल गया है। मेले का विधिवत शुभारंभ 30 अक्तूबर को ध्वजारोहण के साथ किया जाएगा, जिसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रतियोगिताओं की शुरुआत होगी।

पुष्कर मेला न केवल व्यापार और पशु खरीद-फरोख्त का केंद्र है, बल्कि यह राजस्थान की लोकसंस्कृति, कला, संगीत और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन भी है। देश-विदेश से आए सैलानी यहां ऊंट नृत्य, लोकनृत्य और राजस्थान की रंग-बिरंगी झलकियों का आनंद लेने पहुंचे हैं। इस तरह पुष्कर एक बार फिर रंग, रौनक और आस्था से सराबोर हो गया है।

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