राहुल गांधी की संसद की सदस्यता हुई समाप्त !

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाइव /कांग्रेस पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, राहुल गांधी की संसद की सदस्यता हुई समाप्त. जी हां यह सुनकर आपको अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि राहुल गांधी की आवाज अभी अब कुछ समय तक संसद में सुनाई नहीं देगी. आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है.

 

दरअसल लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. गौरतलब है कि सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे. हालांकि सूरत कोर्ट के फैसले के बाद से ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर तलवार लटक रही थी. दरअसल,  जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है.

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वहीं हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. बता दें कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? जिसकी वजह से उनपर कार्रवाई हुई है. वैसे जिस कानून की वजह से राहुल गांधी की सदस्यता गयी है उसके सूत्रधारक वे खुद हैं. बता दें कि साल 2013 में लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि “कोई भी सांसद,

 

विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल की सजा सुनाई जाती है, वह तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है और वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को मनमोहन सरकार ने बदलने का प्रयास किया…. लेकिन राहुल गांधी ने इस अध्यादेश को फाड़कर विरोध जताया था. जिसकी वजह से यह कानून बरकरार रहा और आज राहुल गांधी खुद उसी कानून के शिकंजे में आ गए. इस तरह राहुल गांधी की संसद की सदस्यता समाप्त हो चुकी है. अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या देखने को मिलता है.

 

 

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