सारण: स्वतंत्रता सेनानी की पौत्री सुचिता बनी दरोगा,स्वजन सहित ग्रामीणों में हर्ष

Rakesh Gupta
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Bihar News Live Desk: स्वतंत्रता सेनानी की पौत्री सुचिता बनी दरोगा,स्वजन सहित ग्रामीणों में हर्ष

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परसा:-मकेर थाना क्षेत्र के फुलवरिया पंचायत के पुरे छपरा गांव की रहने वाली बेटी सुचिता ने दूसरे प्रयास में दारोगा बनकर गांव का नाम रोशन किया।सूचित गांव में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए प्रेरणा बनीं।गांव के ही स्वतंत्रता सेनानी स्व रामदर्प सिंह की पौत्री व संवेदक आशुतोष सिंह एवं माता राजमणि देवी देवी की बेटी सुचिता कुमारी दूसरे प्रयास में ही बिहार दरोगा की परीक्षा पास कर अपने घर परिवार,और गांव एवं प्रखंड का नाम रौशन किया है। इनकी प्रारंभिक एवं मैट्रिक तक की शिक्षा गांव से हुई। वह गांव के बाजितपुर हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की।इंटर,स्नातक और एमए की शिक्षा पटना एएन कॉलेज से प्राप्त की।सुचिता गांव में रहकर ही दरोगा की तैयारी कर रही थी।वह बचपन से ही मेधावी छात्रा रही है।तीन भाई व तीन बहन में सुचिता सबसे छोटी है। भाई ऋतु राज सिंह इंजीनियर व सुशांत सिंह बैंक ऑफ इंडिया में सीनियर मैनेजर है तो छोटा भाई क्रिकेटर की तैयारी कर रहा है।सुचिता ने सफलता का श्रेय दादा स्वतंत्रता सेनानी रामदर्प सिंह पिता आशुतोष सिंह,माता राजमणि देवी,चाचा सत्येंद्र सिंह,भाई पियूष कुमार को दी है ।सुचिता कुमारी को डा. नागेंद्र शर्मा,राम अयोध्या सिंह,सरपंच संघ अध्यक्ष प्रतिनिधि विजय कुमार गुप्ता,पूर्व अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह,सत्येंद्र सिंह,डा हेमंत कुमार सिंह,अवधेश सिंह,सीता राम सिंह,भानु प्रकाश सिंह सहित दर्जनों जनप्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों ने लड्डू खिलाकर खुशियों का इजहार किया और शुभकामनाए व बधाईयां दी है।

छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं सुचिता

मकेर प्रखंड के फुलवरिया पंचायत के पुरे छपरा निवासी संवेदक आशुतोष सिंह की बेटी सुचिता कुमारी छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं।इनके पिता संवेदक का काम करते हैं।सुचिता की इस सफलता से परिवार और मोहल्ले के लोग काफी खुश हैं।पिता आशुतोष सिंह ने कहा कि बेटी ने आज यह मुकाम हासिल किया है। बेटी को घर के कामों से अलग रखकर पढ़ने की आजादी दी। आज उसने पूरे परिवार का नाम रोशन किया है।

एमए तक की पढ़ाई की

सुचिता कुमारी ने एमए तक की पढ़ाई की है।मैट्रिक, इंटर और स्नातक में फर्स्ट डिवीजन से उत्तीर्ण हुईं हैं।वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज हैं।सुचिता कुमारी की कहानी उन सभी युवा युवतियों के लिए प्रेरणा है। जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखते हैं।उनकी सफलता यह दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

 

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