पटना :एनडीए सरकार का ब्लैक पेपर — शिक्षा रसातल में
’राजद शासनकाल में खुले विद्यालयों को एनडीए शासनकाल में बंद कर दिया गया ’ प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षकों के पद खाली
दो दिन पहले सक्षमता पास शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने के समय यह दुष्प्रचार किया गया था कि राजद शासनकाल में शिक्षा की बदतर स्थिति थी, शिक्षकों के पद खाली थे और न एक भी विद्यालय खोला गया। इस दुष्प्रचार को चुनौती देते हुए मैंने सरकार से मांग की थी कि दो दिनों के अन्दर शपथ पत्र के साथ राजद के शासनकाल में शिक्षा की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया जाए पर दो दिन हो गये सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं मिला। इसीलिए आज मैं एनडीए सरकार के कार्यकाल में शिक्षा की दुर्यव्यवस्था पर एनडीए सरकार का ब्लैक पेपर जारी करने को मजबूर हुआ ।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन, डाॅ0 उर्मिला ठाकुर एवं मृत्युंजय तिवारी ने पे्रस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के एनडीए सरकार पर शिक्षा को रसातल में पहुँचा देने का आरोप लगाया है। एनडीए शासन में शिक्षा की स्थिति वहाँ पहुँच गई है जहाँ से पटरी पर लाने में वर्षों लग जायेंगे। इतने दिनों से केवल राजद के खिलाफ दुष्प्रचार कर लोगों को गुमराह किया गया है, जबकि हकीकत काफी चैंकाने वाली है। एनडीए सरकार के पास वही उपलब्धियां हैं जो 2015 और 2022 में महागठबंधन सरकार के शासनकाल में हुआ। एनडीए सरकार की सारी घोषणायें केवल कागजी, दिखावटी और बनावटी है। इससे बुरा और क्या हो सकता है कि राजद शासनकाल में जिन विद्यालयों को खोला गया था एनडीए सरकार उसे बंद कर रही है। महागठबंधन सरकार के कार्यकाल को छोड़कर एनडीए सरकार द्वारा एक भी नियमित शिक्षक की बहाली नहीं की गई।
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से राजद शासनकाल में महादलित, दलित, पिछड़ी, अतिपिछड़ी एवं अल्पसंख्यक बस्तियों में एक किलोमीटर के दायरे में कुल 20340 प्राथमिक विद्यालय खोले गए जिसमे 12,619 विद्यालयों का भवन राजद शासनकाल में हीं बना दिए गये थे। शेष 7721 नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों में मात्र 632 विधालयों का भवन हीं एनडीए के शासनकाल में बन पाया है। अभी भी 7089 विद्यालय भवनहीन हैं जिन्हें एनडीए की सरकार नहीं बनवा पाई। इनमें से कुछ विधालयों को दूसरे विधालयों के साथ टैग कर दिया गया है, कुछ को बंद कर दिया गया है और शेष बचे को भी बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। आज राज्य के कुल 42,573 प्राथमिक विद्यालयों में 20340 प्राथमिक विद्यालय केवल राजद शासनकाल में खुले हैं। एनडीए की सरकार अपने शासनकाल में एक भी प्राथमिक विद्यालय नहीं खोल सकी बल्कि राजद शासनकाल मे खुले विद्यालय को भी बंद कर रही है। इसी प्रकार राजद शासनकाल में 19,604 प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किया गया। और आवश्यकतानुसार उसे आधारभूत संरचना के साथ हीं शिक्षक उपलब्ध कराए गए।
विद्यालयों की संख्या बढ़ने के साथ हीं शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राजद सरकार द्वारा नियमित 6,88,157 शिक्षकों के अतिरिक्त 1,96,000 शिक्षा-मित्रों की नियुक्ती की गई जिन्हें नियोजित शिक्षक कहा जाता है।सरकारी विधालयों में शिक्षा का स्तर बेहतर बनाने के उद्देश्य से बीपीएससी के माध्यम से शिक्षक नियुक्ती की प्रक्रिया शुरू की गई।राजद शासनकाल में नियमित रूप से रिक्तियों के विरूद्ध नियुक्ति की प्रक्रिया चलती रहती थी। एनडीए सरकार में शिक्षक के अवकाश ग्रहण करने के साथ हीं उनके पद को मृत मान लिया गया है। इसलिए अब नियमित वेतनमान और सेवाशर्त पर शिक्षकों की नियुक्ती नहीं होती। फिर भी पूर्व स्वीकृत पदों के आधार पर अभी भी लगभग 2,15,778 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। महागठबंधन सरकार बनने के बाद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी जी के दबाव पर लगभग 1,22,000 शिक्षकों की नियुक्ति रिकार्ड 70 दिनों के अन्दर की गई है। एनडीए सरकार बने हुए लगभग नौ महीने हो गये हैं और शिक्षकों के शेष रिक्तियों के विरूद्ध अभी तक एक भी नियुक्ति नहीं हुई है। एक बार नियुक्ति हेतु आयोजित परीक्षा टीआर-3 को प्रश्न पत्र लीक हो जाने के वजह से रद्द करना पड़ा, दोबारा परीक्षा लेना पड़ा। उसकी प्रक्रिया अभी चल ही रही है लेकिन एनडीए सरकार के पूर्व इतिहास को देखते हुए उसके भविष्य के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। परीक्षा पास करने के बाद भी कई वर्षों से फिजीकल टीचर नियुक्ती के लिए चक्कर काट रहे हैं। लाइबे्ररियन के पद पर भी यही स्थिति है। राजद शुरू से ही डोमीसाइल के पक्षधर रही है। पर पिछले बहाली में पदाधिकारियों द्वारा दिये गये गलत जानकारी के आधार पर मुख्यमंत्री स्तर से डोमीसाइल को हटा दिया गया। एनडीए के नेता पहले कहा करते थे कि शिक्षकों को वेतन देने के लिए तेजस्वी कहां से पैसा लायेगा-होटवार जेल से लायेगा। लेकिन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी जी के संकल्प से शिक्षकों की बहाली संभव हो पाया है और उसी का परिणाम है कि बचे हुए पदों पर शिक्षक बहाली की प्रक्रिया चल रही है। तेजस्वी यादव के संकल्प के वजह से ही नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया गया है। उन्हीं नियोजित शिक्षकों को दोबारा नियुक्ति पत्र देकर एनडीए सरकार वाहवाही लूटना चाह रही है, जिसमें अधिकांश नियोजित शिक्षक वे ही हैं जिनकी नियुक्ति राबड़ी देवी जी के मुख्यमंत्रित्व काल में राजद सरकार द्वारा की गई थी।
नयी शिक्षा नीति के अनुसार 30 छात्र पर एक शिक्षक होना चाहिए। पर 8004 विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात पहले 100 से ज्यादा थी जो नई नियुक्ति के बाद अभी भी 70 से ज्यादा है। 3276 विद्यालयों में केवल एक शिक्षक हैं वहीं 12507 विद्यालयों में केवल दो शिक्षक हैं।
राजद प्रवक्ता गगन ने कहा कि एनडीए के शासनकाल में उच्च शिक्षा की स्थिति तो और भी ज्यादा खराब हो गई है। राजद शासनकाल मे जेपी विश्वविद्यालय छपरा, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा, मौलाना मजहरूल हक विश्वविद्यालय पटना, सिद्धु-कान्हु विश्वविद्यालय दुमका और विनोवा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग की स्थापना की गई। राज्य के बंटवारे के बाद दो विश्वविद्यालय झारखंड में चला गया। एनडीए शासनकाल में जो पाटलिपुत्र, पूर्णिया और मुंगेर मे सामान्य विश्वविद्यालय खोले गए हैं, वह अबतक आधा-अधुरा हीं है। डेपुटेशन पर नियुक्त कर्मी हीं विश्वविद्यालय चला रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि वर्षो से इन विश्वविद्यालयों में शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचरियों की भारी कमी रही है। कई विषयों मे एक भी शिक्षक नहीं थे। आज भी कई विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सभी विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। राजद शासनकाल में विश्वविद्यालय सेवा आयोग और महाविद्यालय सेवा आयोग द्वारा रिक्तियों के विरूद्ध नियमित नियुक्ती होती रहती थी । एनडीए की सरकार बनने पर उक्त दोनों आयोगों को भंग कर दिया गया । कुछ दिन पहले राज्य विश्वविद्यालय आयोग का फिर गठन किया गया था लेकिन वह तब तक निष्क्रिय रही जबतक महागठबंधन की सरकार नहीं बनी थी। महागठबंधन सरकार बनने के बाद ही महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में नियमित शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू हो पायी है। अभी भी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों पद रिक्त हैं।
एनडीए सरकार द्वारा सभी पंचायतों मे एक-एक मध्य विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय मे उत्क्रमित करने की घोषणा की गई थी। पर उन विद्यालयों मे न तो आधारभूत संरचना है और न शिक्षक हैं। 216 मॉडल विद्यालयों में अभी तक 81 का निर्माण हीं नहीं हुआ है। यह योजना भी राजद शासन काल का ही है। जिनका निर्माण हो भी गया है, वहाँ केवल भवन खड़ा कर छोड़ दिया गया है।
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि भाजपा और जदयू के नेता राजद शासनकाल की नकारात्मक चर्चा करते हुए राजद काल में स्थापित छः विश्वविद्यालय, 20340 प्राथमिक विद्यालय और 19604 मध्य विद्यालय की चर्चा करने में शर्म महसूस करते हैं।सरकार की प्राथमिकता केवल सुर्खियाँ बटोरने वाली घोषणायें करने भर से है जिसकी वजह से शिक्षा का बुनियाद हीं बिल्कुल खोखला हो चुका है।
संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश महासचिव मदन शर्मा, डाॅ0 पे्रम कुमार गुप्ता, भाई अरूण कुमार, निर्भय अम्बेदकर, प्रमोद कुमार राम एवं उपेन्द्र चन्द्रवंशी उपस्थित थे।