अतिक्रमण हटाने में भेदभाव बरतने का आरोप, लोगों में आक्रोश
प्रशासन का बुलडोजर एक्शन सिर्फ कुछ समय में समाप्त
नगरा में बुधवार को नगरा प्रशासन की टीम ने प्रखंड के प्रमुख इलाकों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। सड़क, फुटपाथ और बाजार क्षेत्रों में फैले अवैध कब्जों को हटाया गया, लेकिन अभियान खत्म होते ही बमुश्किल चौबीस घंटे भी नहीं बीते और गुरुवार की सुबह फिर से वही पुराना नज़ारा दिखाई देने लगा। दुकानें दोबारा सड़कों पर सज चुकी थीं। यह स्थिति साफ दिखाती है कि अतिक्रमण हटाने का यह अभियान कितनी मजबूरी में और कितनी औपचारिकता के साथ चल रहा है।
प्रशासन के पास स्थायी समाधान नहीं
नगरा वासियों का कहना है कि यह प्रशासन की सबसे बड़ी बिडम्बना है कि अतिक्रमण हटाने के बाद भी स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। कई दुकानों के आगे कई-कई छोटी दुकानें और ठेले सजे दिखते हैं। एक दुकान के पीछे दुकान का मोहरा और उसके आगे ठेला लगाने का चलन आम हो चुका है। इन ठेलों से न केवल जगह घिरी रहती है, बल्कि कई दुकानदार इनसे किराया भी वसूलते हैं। यह पूरा तंत्र अवैध तरीके से चल रहा है, जिससे प्रखंड की सड़कें और बाजार लगातार बेहाल हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों में चंदन कुमार, पप्पू कुमार, शोभनाथ प्रसाद, मदन प्रसाद, अनवर अली, राजेश कुमार, मनोज कुमार, प्रमोद कुमार, गुड्डू कुमार, रोहित कुमार आदि दर्जनों लोगों का कहना है कि अतिक्रमण सिर्फ छोटे ठेला वालों की वजह से नहीं बल्कि उन दुकानदारों और मकान मालिकों की वजह से भी बढ़ रहा है जो फुटपाथ और सड़क के हिस्से पर कब्जा कर व्यवसाय चला रहे हैं।कई लोग अपने दुकानों के आगे अस्थायी शेड, काउंटर, बोर्ड, कपड़े, चप्पल, सब्जियां, खाद बीज और दूसरे सामान की दुकानें लगवा देते हैं। जब भविष्य में कार्रवाई होती है तो यह पूरा स्ट्रक्चर हटता है, लेकिन अगले ही दिन वापस खड़ा कर दिया जाता है।
दुकानदारों ने तय कर रखा है किराया
सूत्र बताते हैं कि कई ठेला दुकानदारों को घूम-घूमकर बिक्री करने का नियम है, लेकिन प्रखंड में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने स्थायी ठेला लगाकर महीने का दस बारह हजार रुपये तक किराया तय कर लिया है।यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि प्रखंड की यातायात व्यवस्था की भी सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। दिन में जहां अतिक्रमण हटाया जाता है, वहीं शाम होते ही पूरा इलाका फिर से दुकानों से भर जाता है।
अतिक्रमणकारियों पर जुर्माना लगाने की गई मांग
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक फोटो सहित पहचान कर स्थायी दुकानदारों, मकान मालिकों और किराए पर दुकान चलाने वालों पर भारी जुर्माना नहीं लगेगा, तब तक प्रखंड से अतिक्रमण हट पाना मुश्किल है।
केवल ठेला हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि उन लोगों पर भी कार्रवाई जरूरी है जो इस पूरे सिस्टम को बढ़ावा देते हैं। प्रखंड के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बार-बार अभियान चलाने के बावजूद परिणाम स्थायी क्यों नहीं निकल रहा।
बिना भेदभाव के तोड़ा जाये अतिक्रमण
स्थानीय लोगों ने भी यह बताया कि जिस अतिक्रमण जगह को लेकर विवाद है, वहां गुरुवार की सुबह से ही दुकानदारों के द्वारा फिर से उसी जगह पर अपने समान रखकर दुकानें लगा दी गई हैं। इस कार्रवाई से साफ झलक रहा है कि नगरा प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है तथा प्रभावशाली लोगों को एकदम खुली छूट मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब नगरा प्रखंड के कर्मचारी खुद ही निष्पक्ष तरीके से नियम का पालन नहीं करेंगे, तो फिर आम लोगों पर कार्रवाई करने का क्या मतलब रह जाता है। मामले के सामने आने के बाद पूरे प्रखंड की निगाहें नगरा के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। नगरावासियों का कहना है कि अतिक्रमण हटाने का मुख्य उद्देश्य तभी सफल होगा जब कार्रवाई बिना किसी भेदभाव तथा प्रशासनिक दबाव में न की जाये।
अतिक्रमण करते है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी
नगरा अंचल अधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि सभी अवैध अतिक्रमणकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि नाला को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त रखा जाय। अगर इसमें कोई अवरोध उत्पन्न करते है तो दुकानदार की सामान जप्त करने के साथ-साथ जुर्माना भी वसूला जायेगा एवं सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
