(हरिप्रसाद शर्मा) अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला अब अपने पूरे रंग में नजर आने लगा है। मेले में रोजाना आयोजित हो रही विभिन्न प्रतियोगिताएं दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।शुक्रवार को पशुपालन विभाग की ओर से मेला मैदान में ऊंट नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें ऊंट पालकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट जब ढोल की थाप पर थिरकने लगे तो मेला मैदान तालियों की गूंज से गूंज उठा। किसी ऊंट पालक ने अपने ऊंट को चार पांवों पर ताल से ताल मिलाते हुए नचाया, तो किसी ने उसे दो पैरों पर खड़ा कर दिया। इस अद्भुत नजारे को देखकर दर्शकों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं।
कार्यक्रम का सबसे रोमांचक पल तब आया जब एक छोटे से बच्चे ने ऊंट के पैरों के नीचे नृत्य कर सबको चौंका दिया, वहीं उसके दादा ने अपने ऊंट के मुंह में गर्दन डालकर साहसिक प्रदर्शन किया। इन हैरतअंगेज करतबों ने उपस्थित दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
ढोल की थाप पर ऊंटों के झूमने का नजारा देखने के लिए देशी और विदेशी पर्यटकों की भारी भीड़ मेला मैदान में उमड़ पड़ी। हर ऊंट की सजी-धजी सजावट और उसके मालिक की कमान में उसकी ताल पर झूमती चाल ने मानो पूरे पुष्कर को जीवंत कर दिया।
प्रतियोगिता के अंत में सर्वश्रेष्ठ नृत्य करने वाले ऊंट पालकों को पशुपालन विभाग की ओर से सम्मानित और पुरस्कृत किया गया।
 
					 
							
 
			 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		