श्री पुष्कर मेला 2025:ढोल की थाप पर थिरके घोड़े, पारंपरिक नृत्य प्रतियोगिता ने मोहा देशी-विदेशी सैलानियों का मन

Rakesh Gupta
- Sponsored Ads-

(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर: पुष्कर का अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले में शनिवार को आयोजित अश्व नृत्य प्रतियोगिता ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेला मैदान में देश के विभिन्न हिस्सों से आए अश्वपालकों और उनके प्रशिक्षित घोड़ों ने पारंपरिक संगीत की थाप पर शानदार नृत्य प्रदर्शन किया। ढोल-नगाड़ों की गूंज और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच घोड़ों ने अपने मालिकों के इशारों पर अनोखे करतब दिखाकर सबका दिल जीत लिया।


*घोड़ों की थिरकन पर झूमे सैलानी, मैदान में छाया उत्साह
मेला मैदान में जब पारंपरिक संगीत की लय बजी, तो घोड़े और घोड़ियां अपनी ताल पर झूम उठे। किसी ने दो पैरों पर खड़े होकर नृत्य किया, तो किसी ने चारपाई पर चढ़कर संतुलन का अद्भुत प्रदर्शन किया। दर्शकों में मौजूद देशी और विदेशी सैलानियों ने इस दृश्य का भरपूर आनंद लिया। हर प्रदर्शन के बाद तालियों की गूंज ने मैदान को जीवंत बना दिया।

- Sponsored Ads-


*राजकोट से आए आरिफ की ‘मैडम’ ने किया मनमोहक प्रदर्शन
प्रतियोगिता में शामिल कई अश्वपालकों ने बताया कि उन्होंने अपने अश्वों को महीनों की मेहनत और प्रशिक्षण से तैयार किया है। राजकोट, गुजरात के अश्वपालक आरिफ ने बताया कि वे विशेष रूप से इस प्रतियोगिता में भाग लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी घोड़ी ‘मैडम’ को दो महीने तक विशेष प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वह मंच पर बेहतरीन प्रदर्शन कर सके। आरिफ ने गर्व से कहा कि दर्शकों की प्रशंसा और तालियों से उन्हें वर्षों की मेहनत का फल मिल गया।


*राजस्थान की अश्व संस्कृति को जीवंत बनाए रखने की कोशिश
आयोजकों ने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य राजस्थान की पारंपरिक अश्व संस्कृति और लोक विरासत को जीवंत बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल पशुपालकों में उत्साह भरते हैं, बल्कि पुष्कर मेले की अंतरराष्ट्रीय पहचान और लोकप्रियता को भी नई ऊंचाई देते हैं। पारंपरिक संगीत, लोक लय और अश्वों की थिरकन ने आज का दिन पुष्कर मेले के इतिहास में एक यादगार अध्याय बना दिया।

- Sponsored Ads-
Share This Article
Leave a Comment