पुराणों में वर्णित गुरू की महिमा -दाधीच

Rakesh Gupta
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*पुराणों में वर्णित गुरू की महिमा -दाधीच*

(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर: गुरु पूर्णिमा वेदव्यास पीठ पूजन वायु परीक्षा सन्यासी चातुर्मास प्रारंभ, ज्योतिष ग्रंथ वेद पुराण में वर्णित है कि एक वर्ष में एक दिन आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूजन का दिन शास्त्रों में वर्णित है। जो इस बार शुक्ल पूर्णिमा 10 जुलाई गुरुवार को गुरु के दिन पर ही श्रेष्ठतम योग बना है। इस दिन राशि धन है स्वामी गुरु है ।

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पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र ऐंन्द्रयोग ,विष्कुंभ करण मिथुन के सूर्य एवं धन के चंद्रमा में श्रेष्ठ योग गुरु पूर्णिमा का अद्भुत वर्षों के बाद योग बन रहा है ।ऐसे योग में गुरु की पूजा एवं गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से परिवार में जीवन में सुख समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।वेद शास्त्र ग्रंथ पुराण में वर्णित है कि तीर्थ गुरु पुष्कर राज विश्व के सभी तीर्थ के गुरु हैं।”विश्व के तीर्थ में पुष्कर तीर्थ गुरु के रूप में आदि तीर्थ ,सतयुग की तीर्थ ,ब्रह्मा का तीर्थ होने से सर्वश्रेष्ठ बताया है । दाधीच ने बताया कि इस दिन गुरु गुरु मंत्र लेकर गुरु बना सकते हैं ।

पुराण में सभी के गुरु ब्रह्मा जी महाराज हैं ,गुरु की महिमा अपार है ।गुरु आज्ञा से ज्ञान की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर गुरु ही सदमार्ग पर ले जाते हैं ।स्वयं भगवान ने अपने मुखारविंद से वर्णित किया कि गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताएँ ।

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