बिहार न्यूज़ लाईव डॉ० संजय (हाजीपुर) डेस्क: स्व० उषा वर्मा तथा स्व० धूपेन्द्र प्रसाद का छठा स्मृति दिवस कार्यक्रम ऐतिहासिक गाँधी स्मारक पुस्तकालय परिसर में आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ० विजय कुमार ने की तथा संचालन डॉ० संजय विजित्वर’ ने किया। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम स्व० उषा वर्मा तथा स्व० धूपेन्द्र प्रसाद के चित्र पर उपस्थित लोगों के द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इसके बाद कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ० संजय विजित्वर’ के द्वारा स्व० उषा वर्मा तथा स्व० धूपेन्द्र प्रसाद के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर चर्चा करने के क्रम में कहा कि सौभाग्यशाली वे संतान होते हैं जिनके माता-पिता की छत्रछाया उन्हें मिलती रहती है।इसलिए संतानों को चाहिए कि वे शरणापन्न भाव से अपने माता- पिता के प्रति श्रद्धा तथा आदर भाव रखें।इस अवसर पर ‘बुजुर्ग हमारे धरोहर’ विषय पर परिचर्चा के क्रम में गाँधी आश्रम मोहल्ला निवासी महेश कुमार ने बताया कि माँ- बाप वटवृक्ष की तरह होते हैं और आजीवन छाया देते हैं। उन्हीं के आशीर्वाद से बच्चे फलते- फूलते हैं।
आदर- सम्मान के साथ पूर्वजों को याद करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता, विजय स्वामी ने कहा कि स्व० उषा वर्मा का काफी सम्मान गाँधी आश्रम मोहल्ला में था। हर संतान को अपने माता- पिता के साथ अच्छा व्यवहार रखना चाहिए। साहित्यसेवी, डॉ० अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बुजुर्ग हमारे लिए वास्तव में धरोहर हैं। जितने भी हमारे पूर्वज हैं वे आशा भरी निगाहों से देखते रहते हैं कि उनकी संतान उन्हें सम्मान देती हैं कि नहीं। यदि सम्मान मिलता है तब वे खुश हो जाते हैं।राजद नेता, राजेश कुमार ने बताया कि सामाजिक विसंगति के कारण आज बुजुर्गों के प्रति सम्मान देने में उनकी संतानें कोताही करते हैं जो चिन्तनीय है। जद यू नेता,डॉ० महेन्द्र साह ने बताया कि हमें अपना व्यवहार अच्छा रखना चाहिए ताकि किसी बुजुर्ग का हृदय आहत न हो सके।
वरिष्ठ पत्रकार , शंकर जी किशोर ने कहा कि बुजुर्ग हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं,लेकिन दुखद पहलू है कि कुछ बुजुर्ग में यह कमी देखी गई है। आरोप-प्रत्यारोप चलता रहता है जो दुखद है। साहित्यकार, अखौरी चन्द्रशेखर ने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रूप में माता- पिता होते हैं। माता-पिता बच्चों की भविष्य की चिंता में सदैव रहते हैं। जिस घर में माता- पिता का सम्मान है वह घर मंदिर है। शिक्षक, विमल राय ने कहा कि माता- पिता प्रथम पाठशाला है। माँ प्रथम शिक्षिका होती है। हर संतान को चाहिए कि वह बुजुर्ग के प्रति सहृदयता से अपनापन दिखाए।
गाँधी आश्रम निवासी,अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि बुजुर्ग धरोहर हैं और वे आपसे कुछ लेते नहीं है,बल्कि कुछ देते ही रहते हैं। साहित्यकार,रवीन्द्र कुमार रतन ने बताया कि माता-पिता भगवान होते हैं और वे अपने बारे में न सोचकर संतानों के बारे में सदैव सोचते हैं। उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए चिन्ता करते रहते हैं। युवा मीडियाकर्मी, प्रकाश ने कहा कि संतानों में जागृति होना चाहिए कि माता-पिता के प्रति आदर-सम्मान भाव दर्शायें और आगत अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि आप बुजुर्गों के सद् विचार युवाओं के लिए प्रेरक हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता,गंगेश गुंजन ने कहा कि माता-पिता के आशीर्वाद से संतान सदैव आगे बढते हैं। चिकित्सक तथा साहित्यसेवी, डॉ० नन्देश्वर सिंह ने कहा कि एक कहावत है – बाढे पुत्र पिता के धरमे,लेकिन आज विपरीत परिस्थिति देखने को मिल रही है जो दुखदायी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ० विजय कुमार ने कहा कि बुजुर्ग हमारे लिए, समाज के लिए,अपने परिवार के लिए धरोहर ही हैं। उनका सम्मान हर हाल में हर संतान को करना चाहिए । इस अवसर पर हिमांशु,बबलू, कन्हैया, रोहित, दिनेश राज, वरिष्ठ पत्रकार,जयप्रकाश उर्फ पप्पू की भी उपस्थिति रही।