बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क:: रसूलपुर।जाने माने ज्योतिषाचार्य पं० आशीष पाण्डेय उर्फ शास्त्री जी ने बताया है कि मकर संक्रांति पर उपयोग होने वाले खाद्य व्यंजनों का प्रत्यक्ष संबंध ग्रह नक्षत्रों से होता है।इन सब का उपयोग से मानव जीवन को लाभ पहुंचता है।
सारण जिले की एकमा प्रखंड के रसूलपुर थाना क्षेत्र के एकसार गांव निवासी आचार्य शास्त्री ने बताया कि मकर संक्राति पर तिल,खिचड़ी ,खाने व दान देने का वैज्ञानिक व धार्मिक महत्व दोनों है। मकरसंक्रांति के दिन तिल संबंधी कुछ काम करके सोए हुए भाग्य को भी जगाया सकता है।इस दिन को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं।सूर्य उतर दिशा में गमन करते हैं।इस दिन तिल के अलावा गुड़, खिचड़ी खाने और दान का महत्व है आचार्य पं० आशिष पाण्डेय ने कहा कि इन तीनों चीजों के बिना मकरसंक्रांति का त्योहार अधूरा है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी के उपयोग से नवग्रह कि कृपा प्राप्त होती है।साथ ही आरोग्य का वरदान मिलता है। शास्त्रों में बताए गए हैं की खिचड़ी में मिलाएं जाने वाले पदार्थ नवग्रह से जुड़े होते हैं। जैसे चावल -खिचडी में महत्वपूर्ण है जो चंद्रमा और शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए लाभदायक है।
घी के बिना खिचड़ी अधुरी मानी जाती है।घी से सुर्य का संबंध है इसे सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।हल्दी बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करती हैकाली दाल -खिचडी में डाली जाने वाले काली दाल के सेवन से शनी- राहु -केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।कई लोग मकरसंक्रांति पर मूंग दाल हरि सब्जियां और चावल के मिश्रण से खिचड़ी बनाते हैं।मूंग, दाल और हरि सब्जिया बुध से संबंधित है।गुड खिचड़ी के साथ खाएं जाने वाला। गुड मंगल और सूर्य का प्रतीक माना जाता है।
मकरसंक्रांति पर विषेश कर काली तिल और गुड़ या उससे बनी चीजों का दान शनी देव और सूर्य देव का आशीर्वाद दिलाता है।काली तिल का संबंध शनी से है और गुड़ सुर्य का प्रतीक है।मकरसंक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि राशि मकर में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन गुड़ का सेवन या दान करने से मान सम्मान में बृद्धी होती है। सूर्य की कृपा से कैरियर में लाभ मिलता है।