अजमेर: पंडा कौन हैं – जो पांडित्य करें- श्री जी महाराज, भागवत कथा के दूसरे दिन पांडव, कुन्ती चरित्र के साथ शुकदेव जीं आगमन कथा

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाइव अजमेर डेस्क पुष्कर/अजमेर (हरिप्रसाद शर्मा) तीर्थराज पुष्कर में सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से सलेमाबाद पीठ के निम्बार्क पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्री जी महाराज ने कहा कि
पंडा कौन हैं – जो पांडित्य करें। श्रीजी महाराज ने पंडा की परिभाषा को परिभाषित करते हुए कहा कि पंडा साधना से विद्वान होने से है । जो पांडित्य कर्म करने से साथ साधना भी ज़रूरी बताया है ।

यह कथा आरटीडीसी होटल सरोवर में मुख्य यजमान सत्यनारायण जोशी परिवार द्वारा कराई जा रही हैं ।
श्री जी महाराज ने सुखदेव के जन्म के बारे में बताते हुए कहा कि सुखदेव जी का जन्म संसार में आते ही भजन के लिए हुआ है ।उन्होंने कहा कि सुखदेव जी संसार में आना ही नहीं चाहते थे, भगवान से प्रण किया कि मुझे माया में लिप्त नहीं रहना है सुखदेव जी ने भगवान से कहा कि माया जीवों को मोहित करती हैं ।माया भगवान से हमें दूर करती हैं ।

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श्री जी महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार रोग होने पर उसका इलाज होता है , उसी प्रकार संसार में माया से लिप्त होने पर भागवत इसका निदान करती हैं ।
उन्होंने कहा कि कथाएँ रूकती नहीं है , संसार के किसी न किसी कोने में चलतीं रहती हैं । पांडवों के पुत्रों के वध के बारे में बताया परीक्षित कितना सौभाग्यशाली हैं, जिसकी रक्षा गर्भ में भगवान ने की । भगवान जिसके साथ है, उसकी पराजय व अनिष्ठ कभी नहीं होता है ।

श्री जी महाराज कहा कि भगवान जिंसें मारना चाहते हैं- उसे कोई बचा नहीं सकता और जिसे बचाना चाहते हैं उसे कोई नहीं मार सकता है । व्यासपीठ से श्रोताओं को आव्हान किया गया कि जिन भक्तों को दीक्षा लेनी है उनका दीक्षा कार्यक्रम गिरधर गोपाल मंदिर में प्रातःकाल दिये जाने का है ।

 

 

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