भागलपुर: बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही लहलहाने लगी खेतों में लगी फसलें,खिलने लगी खेतों में लगें सरसों के पीले फूल

Rakesh Gupta
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सरसों के पीले-पीले फूल सुन्दरता से चारों ओर बिखेर रही खुशियाँ/ बिहार न्यूज लाईव/  अकबरनगर : मोहित कुमारसंत ऋतु का आगमन हो गया है।बसंत ऋतु के पंचमी तिथि को विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है।जिसको लेकर तैयारियां भी जोरों पर चल रही है।

 

इनके साथ साथ यह ऋतु किसानों के लिए भी बेहद खास होता है।बसंत ऋतु में किसानों द्वारा दिन रात एक कर अपने खेतों में तैयार किये गये फसल गेहूं,चना, जौ,सरसों,दलहन आदि के फसल खेतों में लहलहाने लगी है.खासकर सरसों के पीले-पीले फूल प्रकृति की छटा को चार चांद लगा रही है।अकबरनगर-शाहकुंड मार्ग से सटे हजारों एकड़ में फैले बहियार चौर क्षेत्र में लगे फसलों में सरसों के पीले पीले फूल चटक रंगों के साथ प्रकृति के खूबसूरती को चार चांद लगा रही है।जिस तरह एक मां अपने कलेजे के टुकड़े को पाल-पोस कर बड़ा कर बुढ़ापे में सहारे का आस जोहती है।ठीक किसान भी अपने फसलों से उसी तरह प्यार कर अपने खून पसीने से दिन रात मेहनत कर फसलों को सींचकर बड़ा किया है।जिसे देख किसानों का मन भी प्रसन्न चित्त होने के साथ अच्छी उपज की आस जोह रहा है।

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वही किसानों का कहना है कि सरसों के पीले पीले फूल खिलखिला कर बसंत ऋतु का स्वागत करती है।अपनी सुन्दरता से चारों ओर की खुशियाँ बिखेर किसानों के मस्तिष्क को कलात्मक बनाती है।आत्मविश्वास के साथ नये कार्य शुरु करने के लिये शरीर को ऊर्जा देती है।इसी मौसम से किसान अपनी फसलों का पकने का इंतजार करने लगती है।गौरतलब हो कि पतझड़ के बाद बसंत ऋतु आने से पेड़ की डालियों पर नई कोपलें फूटने लगीं है।सरसों के खेत पीले हो गये हैं।आम के महमहाते बौर और महुआ के डोंगी पोर-पोर में मादकता घोलने लगी है।

 

प्रकृति का यह नया रूप-निखार हर जेहनो दिल में ऋतुराज वसंत की दस्तक का अहसास लेकर आ गया है।हर मन में उल्लास, पछुआ की हिलोर से झूमती पुरवाई तक मदहोश कर देने वाली खुशबू लाल, पीले, नीले फूलों के चटख रंगों के साथ प्रकृति में अपनी छटा बेखर रही है।

फ़ोटो:-अकबरनगर के चौर बहियार क्षेत्र में लहलहाती सरसों की फसलें

 

 

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