सारण: मेघालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 47वाँ भारतीय समाज विज्ञान अकादमी द्वारा सामाजिक विज्ञान सम्मेलन हुआ प्रारंभ

Rakesh Gupta
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बिहार के जातीय जनगणना पिछड़े समुदायों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत तक बढ़ा दी है, जो 2024 के लोकसभा : डॉ लालबाबू यादव

आज की पत्रकारिता अपने मूल उद्देश्य से भटककर समाज एवं राजनीति में अप्रासंगिक बनती जा रही है : डॉ दिनेश पाल

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बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क छपरा सदर : भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 5 फरवरी, 2024 से पाँच दिवसीय 47वाँ भारतीय सामाजिक विज्ञानसम्मेलन प्रारंभ हुआ । जिसमें बिहार के सारण जिले में स्थित जय प्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और जगलाल चौधरी महाविद्यालय, छपरा के हिन्दी विभाग के युवा प्राध्यापक डॉ. दिनेश पाल ने विभिन्न सत्रों में अपना-अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया।

 

प्रो. लालबाबू यादव ने बिहार के जातीय जनगणना के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए प्रतिभागियों को यह बतलाया कि जातीय सर्वेक्षण से बिहार देश में पहला ऐसा राज्य बन गया, जिसने सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत तक बढ़ा दी है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव का प्रमुख मुद्दा भी बन गया है।

 

वहीं डॉ. दिनेश पाल ने भारतीय पत्रकारिता के विविध आयामों की चर्चा करते हुए अपने शोध पत्र में यह बतलाया है कि आज की पत्रकारिता अपने मूल उद्देश्य से भटककर समाज एवं राजनीति में अप्रासंगिक बनती जा रही है, जो आज के लोकतंत्र का सबसे बड़ा संकट बनकर सामने आया है। दोनों शोध पत्रों को देशभर से आये समाज विज्ञानियों ने शिद्दत से सराहा है और दोनों वक्ताओं को विभिन्न राज्यों में भविष्य में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के संगोष्ठियों एवं सम्मेलन में भाग लेने का भी आग्रह किया है।

 

मेघालय का यह राष्ट्रीय सम्मेलन 9 फरवरी, 2024 तक चलने वाला है, जिसमें कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, शोध संस्थानों के निदेशक, कॉलेजों के प्राचार्य तथा प्राध्यापक एवं भारी संख्या में शोधार्थीगण भी भाग ले रहे हैं।

 

 

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