जीसे दुनिया के ठोकर से बचाकर परवरिश किया वही ठोकर खाने को मजबूर किया
– लाखों की संपत्ति का मालिक पिता भीख मांग कर कर रहे जीवन यापन पुत्र ने घर से निकाला
बिहार न्यूज़ लाइव मुंगेर से निरंजन कुमार की रिपोर्ट
तुझे सूरज कहूं या चंदा तुझे दीप कहूं या तारा मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा …,इसी उम्मीद के साथ पिता अपने बच्चे का परवरिश करते हैं पिता को उस बच्चे से यह उम्मीद जगी रहती है जिस प्रकार उंगली पकड़ के अपने बच्चे को चलना सिखा रहे हैं उसी प्रकार बुढ़ापा के समय वह बच्चा अपने पिता का उंगली पकड़ के जीवन नैया पार लगाएंगे लेकिन विडंबना ही है कि जिसने जीवन में दुख दर्द सह करके जिस पुत्र को जवान किया जीवन में जीने लायक बनाया आपने संपत्ति का मालिक बनाया
वही पुत्र उस वृद्ध पिता को 70 वर्ष की आयु में घर से बेदखल कर दिए मजबूर ट्रेन में भीख मांग कर जीवन यापन करते हैं और अपने पिछले दिन को याद कर वह रोते रहते हैं रहते हैं. रामपुरहाट गया पैसेंजर में सफर कर रहे दुखी पिता की यह दास्तान है बताते चलें कि झारखंड जिला के गोड्डा बिहारी ग्राम थाना ठाकुरगंटी निवासी प्रभाष चंद्र शुक्ला बताते हैं कि उनका पुत्र एवं पुत्र बहू मिथिलेश शुक्ला व चांदनी देवी घर से बेदखल कर दिया निकाल दिया है जबकि श्री शुक्ला का कहना है 8 बीघा खेत के मालिक हैं और रहने के लिए मकान बनाया. अपना निजी मकान है
बावजूद उन्हें घर से निकाल दिया गया है इस उम्र में रोने के सिवा उनके पास कुछ बचा नहीं है इतना ही नहीं सात जन्म की साथ निभाने वाली धर्मपत्नी गीता देवी भी उनसे साथ चुरा लिए छुड़ा लिए हैं और उन्हें दुनिया के ठोकर खाने के लिए मजबूर कर दिए हैं हालाकी यात्रा के दौरान मुंगेर लोक अदालत के पीएलवी निरंजन कुमार ने उनकी आपबीती सुनी और उन्हें झारखंड गोड्डा जिला स्थित लोक अदालत में जाने का परामर्श दिया साथी अपना संपर्क नंबर भी दिया ताकि वहां के कर्मचारियों से संपर्क स्थापित हो सके जिस पहल से दुखी पिता के साथ न्याय मिल सके. प्रभाष चंद्र शुक्ला उस पीड़ित पिता का एक उदाहरण है जिसे घर से निकाल दिया जाता है
लेकिन गीता का 1 साल है कि आप जैसा दोगे वैसा ही पाओगे शायद मिथिलेश शुक्ला इस बात से अनभिज्ञ है कि वह भी किसी का पिता है शायद भगवान ना करे उसे यह दिन देखना पड़े..
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