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जयपुर: गहलोत ओर पायलट के सुलह के फॉर्म्युले के बाद पायलट को नई ज़िम्मेदारी 

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*पायलट को जल्द ही अहम नई जिम्मेदारी देकर विधानसभा चुनाव की तैयारी में उतारा जा सकता है

बिहार न्यूज़ लाइव जयपुर डेस्क: जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेरिका दौरे से दिल्ली लौटने के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के बीच चली आ रही खींचतान भी सुलह के रास्ते पर बढ़ती नजर आ रही है। गहलोत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की तीनों मांगें तो मानने से सार्वजनिक रूप से इनकार कर दिया है, लेकिन पायलट को पार्टी में जिम्मेदारी और कोई पद देने पर एतराज नहीं किया है।

 

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मुख्यमंत्री गहलोत भी जानते हैं कि अबकी बार कांग्रेस सरकार रिपीट होने के चांस बन रहे हैं, क्योंकि भाजपा में भी खींचतान है। मुख्यमंत्री का चेहरा भी साफ़ नहीं है। भाजपा बनाम अशोक गहलोत चुनाव राजस्थान में होने के आसार बन रहे हैं। ऐसे में पायलट की नाराजगी मोल लेकर युवाओं और गुर्जर वोट बैंक का नुकसान नहीं उठाया जाना चाहिए। हालाँकि देखा जाए तो वर्तमान स्थिति में अशोक गहलोत का पलड़ा भारी है । कांग्रेस हाईकमान के पास भी गहलोत का पलड़ा भारी देखते हुए पार्टी की मजबूरी बनी हुई है ।जिसकी वजह से गहलोत की बातों को ठुकरा नहीं जा सकता है ।

 

सचिन पायलट भी एक दिन जयपुर में रुकने के बाद वापस दिल्ली लौट गए हैं। अब पायलट की जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात होने की संभावना है। जैसे ही पायलट को ज़िम्मेदारी दी जाएगी, राहुल गांधी के साथ मुलाकात की उनकी तस्वीर भी सामने आ सकती है। सूत्र बताते हैं कि पायलट को नई जिम्मेदारी देने के साथ ही संगठन में व्यापक फेरबदल किया जाएगा। अपुष्ट खबरें मंत्रिमंडल में फेरबदल की ओर भी इशारा कर रही हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद समाप्त कराने में खुद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल जुट गए हैं। एआईसीसी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हो चुकी है, जिसका संदेश मुख्यमंत्री गहलोत को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दे दिया है।

सूत्रों के अनुसार यदि पायलट को ज़िम्मेदारी सौंपी जाती हैं । तो वैसे भी कांग्रेस पार्टी के सामने दोनों को ही लेकर मजबूरी ज़्यादा है । हालाँकि हाईकमान ने दोनों को अपनी एस्टेट मान चुकी है ।

 

 

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