बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: संजीव शर्मा
माँझी। छपरा बलिया रेलखंड के मध्य सन 1908 में माँझी रेलपुल के साथ ही अंग्रेजों द्वारा स्थापित तथा निर्मित वर्तमान अवधि तक संचालित माँझी रेलवे हाल्ट पर पैसेंजर के साथ साथ उरसर्ग एक्सप्रेस भी खुद आकर रुकती है और खुद ही चल पड़ती है। यहाँ एकमात्र रेल लाइन होने की वजह से सिग्नल और टोकन सिस्टम लागू नही किया जा सका। वर्षों से इस हाल्ट को टिकट बेचने वाले ठेकेदार के रहमोकरम पर रेल प्रशासन द्वारा छोड़ रखा गया है। प्लेटफार्म विहीन इस हाल्ट पर न तो बैठने के लिए बेंच है और न ही यात्रियों के सर छुपाने के लिए शेड। इस हाल्ट की हालत यह है कि यहाँ पानी पीने के लिए चापाकल और प्रकाश तक नही है। अंग्रेजों का बनाया शौचालय दरवाजा विहीन टूटा फूटा और विषैले सांपों का बसेरा बना हुआ है। ऊंची रेल लाइन पर स्थित प्लेटफॉर्म से लगभग एक सौ मीटर नीचे बुकिंग काउंटर है जहाँ महज दस यात्रियों के बैठने लायक लकड़ी व लोहे का बेंच तथा उसके ऊपर शेड बना हुआ है। उक्त हाल्ट पर छपरा से वाराणसी के बीच चलने वाली दो जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों तथा एकमात्र उत्सर्ग एक्सप्रेस का ठहराव होता है। बुकिंग काउंटर के आस पास सीमेंट से बने चबूतरे पर बैठकर यात्री ट्रेनों की प्रतीक्षा करते हैं। बुकिंग काउंटर से प्लेटफार्म तक लगभग एक सौ मीटर लम्बे फुटपाथ के ऊपर शेड नही होने से बरसात के दिनों में यात्री भींगते हुए ट्रेनों पर सवार होने को मजबूर होते हैं। माँझी हाल्ट के प्लेट फार्म पर आगे पीछे सीमेंट से निर्मित श्राइन बोर्ड फिलहाल झाड़ झंखाड़ में छिप सा गया है शायद यही वजह रही होगी कि गुरुवार की देर शाम उत्सर्ग एक्सप्रेस का ड्राइवर माँझी हाल्ट को पहचान नही पाया और बाद में गार्ड के याद दिलाने पर ट्रेन को माँझी रेलपुल के बीचोबीच ले जाकर खड़ा कर दिया। हालाँकि बाद में ट्रेन को पुनः वापस माँझी हाल्ट पर लाया गया तथा आधे घण्टे के बाद ट्रेन अपने गंतब्य की ओर रवाना हुई।
उत्सर्ग एक्सप्रेस में सवार यात्रियों ने यदि बुद्धिमता का परिचय नही दिया होता तो कई यात्रियों की जान जा सकती थी। चूंकि ट्रेन जिस रेलपुल में खड़ी थी वहाँ पायदान से उतरते ही यात्री पुल के बजाय 50 फुट नीचे सरयु नदी में गिरकर असमय काल कवलित हो सकते थे। यही नही ट्रेन पर सवार होने रेलपुल के रेलिंग पर दौड़ रहे यात्री भी ट्रेन में चढ़ते समय दुर्घटना के शिकार हो सकते थे। इसे महज एक संयोग ही कहा जायेगा कि उत्सर्ग एक्सप्रेस के चालक की इस बड़ी मानवीय भूल के बावजूद अप्रत्याशित हादसा होते होते टल गया। चूँकि महज पाँच सौ मीटर पहले माँझी हाल्ट को ट्रेन पार कर चुकी थी और अनजान यात्री रात के अंधेरे में पुल को ही प्लेटफार्म समझकर ट्रेन से उतर सकते थे।
तीन किमी पुरब नए माँझी रेलवे स्टेशन के उदघाटन के साथ ही 25 जुलाई 2023 के दिन माँझी हाल्ट को रेल प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया था।हालाँकि स्थानीय स्तर पर संचालित अनुभव जिंदगी का नामक सोशल मीडिया ग्रुप के सदस्यों के विशेष आग्रह पर महाराजगंज के भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने रेल प्रशासन से बात कर हाल्ट को तीन दिन बाद 28 जुलाई को पूर्ववत बहाल करा दिया था।
बताते चलें कि रेल यात्रियों की संख्या तथा टिकट बिक्री को लेकर ब्यवसायिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण व माँझी के प्रसिद्ध संत धरणी दास की जन्मस्थली एवम प्रसिद्ध स्थानीय रामघाट की महत्ता को देखते हुए इस हाल्ट को बहाल रखे जाने की सांसद की अपील पर रेल प्रशासन ने इसे मंजूर तो कर लिया पर यात्री सुविधाओं के विस्तार को कौन कहे पहले से उपलब्ध यात्री सुविधाओं को भी नए माँझी स्टेशन पर स्थानांतरित कर दिया गया।