बाबू! हमारे घर कैसे मनेगी होली
बिहार न्यूज़ लाइव /मुंगेर से निरंजन कुमार की रिपोर्ट मुंगेर डेस्क: बाबू! मेरे घर कैसे बनेगी होली यह वेदना है शहर के प्रमुख बाजार राजेंद्र चौक पुराना नाम जुबली कुआं के पास काम के इंतजार में खड़े उस सैकड़ों मजदूरों के जो कि नाराज काम ना मिलने पर घर लौट जाते हैं.
शहर के प्रमुख बाजार के जुबली कुआं पास आए दिन सैकड़ों मजदूर सुबह 7:00 बजे से 9:00 बजे तक इंतजार में खड़े रहते हैं कि कोई लोग आएंगे उन्हें मजदूरी के लिए घर ले जाएंगे उस भीड़ से जिसकी किस्मत अच्छी रही उसे काम मिल जाता है बाकी लोग निराश घर लौट जाते हैं यह सिलसिला विगत 40 वर्षों से चल रहा है लेकिन इन मजदूरों के दयनीय स्थिति पर किसी भी जनप्रतिनिधियों की नजर नहीं पड़ी दावा ठोका जाता है कि मजदूरों को कार्य दीया जा रहा है सबका साथ सबका विकास हो रहा है गठबंधन की सरकार नौकरी देने की दावा भी कर रहे हैं हकीकत क्या है वह आप समझ सकते हैं इन मजदूरों की स्थिति देख कर. वही, बिहार दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर लाखों रुपए खर्च होती है!
मुंगेर का स्थापना दिवस पर लाखों की बिल पास होगी लेकिन इन मजदूरों की समावेश करने के लिए इनके घर रोजी-रोटी कैसे चले इसके और कोई पहल नहीं हो रही है. सोमवार को बीचा गांव निवासी उमेश कुमार बताते हैं कि वह सप्ताह से निराश घर लौट रहे इसी प्रकार बेकापुर के रंजीत कुमार बताते हैं कि होली जैसा पर्व मेरे घर कैसे मनेगा. वही घुसी टोला के दिनेश कुमार शंकरपुर के धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि हम लोग रोजगार के लिए परेशान हैं.
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