बिहार न्यूज लाईव / जयपुर/ डेस्क: (हरिप्रसाद शर्मा)मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद अब सड़कों पर नहीं आए। इससे पहले ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने सोमवार 29 मई को दिल्ली में दोनों नेताओं से अलग-अलग बैठा कर बात करने का फैसला किया है।
सहमति बनने के बाद सोनिया गांधी के समक्ष दोनों नेताओं को पेशकर एकता के सूत्र में रहकर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव में जीत का संकल्प कराए जाने की रणनीति तैयार की जा रही है।
गांधी परिवार ने इस बात के स्पष्ट निर्देश दे दिए है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट को नई जिम्मेदारी दी जाएगी। हो सकता है उनको पुनः कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है ।उसको स्वीकार कर मुख्यमंत्री गहलोत को विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने की नीति पर काम करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा के माध्यम से कुछ आपत्तियां राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे तक पहुंचाई है। जिससे कि वे अपने गुट के विधायकों को यह विश्वास दिला सके कि सरकार के साथ देने वाले विधायकों के साथ न्याय होगा।
गहलोत और पायलट के साथ ही उनके समर्थित नेता और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि भविष्य में दोनों एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी पूर्णतया बंद करें। कर्नाटक में कांग्रेस जीत के सूत्र राजस्थान में भी काम में लिया जाएगा। यह बात स्पष्ट नजर आ रही है कि दोनों नेताओं में आपसी गतिरोध दूर किया जाए और सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा की जाए कि केंद्रीय नेतृत्व जो भी दिशा-निर्देश देगा ।उसी को दोनों नेता बिना किसी विवाद के उसकी पालना करेंगे।
केंद्रीय नेतृत्व के दिशा निर्देश के अनुसार ही संगठन में बदलाव शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 85 नए सचिव बनाने की सूची जारी कर दी है। अब यह भी माना जा रहा है कि शीघ्र सीएम गहलोत और पायलट की सहमति के बाद में जिला अध्यक्षों की घोषणा भी कर दी जाएगी।
संगठन व्यापक और मजबूत बने इसका ध्यान रखा जा रहा है। दोनों गुटों के नेताओं को पर्याप्त स्थान मिल सके। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा भी जोरों पर शुरू हो गई है। अगर पायलट को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाती है तो निश्चित तौर पर मौजूदा मनोनीत प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा एससी और ब्राह्मण को भी उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है। इस प्रक्रिया से कांग्रेस सभी जातियों को यह संदेश देने में कामयाब हो जाएगी कि भविष्य में कांग्रेस उन्हें सत्ता और संगठन में बराबर की भागीदारी देगी।
कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मजबूत हुआ है। इसी का परिणाम है कि अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तीनों राज्यों में जीत के लिए तैयारी करने में जुट गया है। सबसे पहले राजस्थान के विवाद को समाप्त करने के लिए कवायद तेजी से शुरू की गई है। केंद्रीय नेतृत्व ने विवाद को सुलझाने के लिए फॉर्मूला तैयार कर दोनों नेताओं को बता दिया है। बताया जाता है कि सचिन पायलट ने तो सहमति दे दी है। लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत कुछ बदलाव कराने के पक्षधर हैं। जबकि केंद्रीय नेतृत्व ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जो भी फार्मूला तय हुआ है उसे दोनों पक्षों को मानना ही पड़ेगा।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि 30 मई से पहले गहलोत और पायलट के बीच जो विवाद है उसे खत्म कर लिया जाएगा । यही कारण है कि 29 मई को दिल्ली में दोनों नेताओं को तलब किया है।
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