बक्सर: चौसा मे हुए तांडव का असली गुनाहगार कौन जबकि पिछले कई महिनो से किसान अपनी मांगो को लेकर शान्तिपूर्ण धरना पर बैठे थे

Rakesh Gupta
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चौसा तांडव को लेकर बिभिन्न राजनैतिक दलो के लोग अपने अपने हिसाब से देने लगे बयान

बिहार न्यूज़ लाइव /बक्सर : चौसा पावर प्लांट प्रभावित किसानों के द्वारा चल रहा शांतिपूर्ण धरना अब समाप्त हो गया है पहले उग्र रूप लिया और अब राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए चौसा के रूप में एक नया पर्यटन स्थल बनाने के बाद किसान लापता हो गए हैं. जो किसान इस बात की दुहाई दे रहे हैं कि उनके घरों में घुसकर लाठीचार्ज किया गया उन किसानों की हकीकत अब वायरल वीडियोस में सामने आ रही है.

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साथ ही एक वीडियो भी दर्शकों को दिखा रहा है जिसमें यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस प्रकार एक स्कॉर्पियो में सवार होकर जा रहे पुलिसकर्मियों पर तथाकथित किसानों ने हमला कर दिया और जो पुलिसकर्मी हत्थे चढ़ गया उसे सड़क पर बेदर्द तरीके से मारा जा रहा है. सड़क पर गिरा पुलिस कर्मी बार-बार उठने की कोशिश कर रहा है लेकिन लठधारी युवक उस पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे हैं.

 

स्कॉर्पियो को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया. जब युवक आश्वस्त हो गए कि पुलिसकर्मी मर गया है तो वह वहां से चले गए लेकिन, फिलहाल पुलिसकर्मी जीवित है और उसका गंभीर हालत में इलाज चल रहा है. इस हमले में उसका जबड़ा, हाथ और पैर टूट गया है.बक्सर पहुंचे डीआइजी ने बुधवार को अपने बयान में कहा था कि मंगलवार को पावर प्लांट के गेट पर तालाबंदी करने वाले किसानों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई तो उन किसानों की तलाश में पुलिस टीम उनके गांव में गई थी, लेकिन उस पुलिस टीम पर पथराव कर दिया गया. प्रतिशोध में पुलिसकर्मी घर में घुसे और लाठियां तो भांजी. लेकिन जो किया वह बिल्कुल गलत किया. ऐसे में पुलिस टीम पर कार्रवाई भी की गई.

लेकिन सवाल यह है कि जिन किसानों को बेचारा और निर्दोष बताया जा रहा है, उनमें से एक भी किसान जख्मी क्यों नहीं है? ऐसे में यह बात पूरी तरह से साफ है कि प्रशासन की तरफ से कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है. बल्कि जो भी घाव दिए हैं वह तथाकथित किसानों के रूप में आतंक और उग्रवाद फैला रहे आतंकियों और उग्रवादियों ने दिए हैं.चौसा में उपद्रव की सूचना पर पहुंचे डीएम अमन समीर ने बताया कि जो भी किसान पावर प्लांट के लिए दी गई अपनी जमीन के एवज में नए दर से मुआवजे की मांग कर रहे हैं, उनसे प्रशासन के द्वारा बार-बार यह कहा गया कि वह आपत्ति के साथ मुआवजा राशि प्राप्त कर लें और जो अतिरिक्त राशि उन्हें चाहिए उसके लिए वह अपील में चले जाएं. कई बार बैठक हुई जिसमें किसानों ने यह बात मान भी ली लेकिन बाद में पुनः किसी स्वार्थी तत्वों ने उन्हें बरगला दिया.

 

 

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