सीवान। नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर गुरुवार 20 नवंबर 2025 को शपथ ली। उनके साथ सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। नई एनडीए सरकार में मंत्रिमंडल में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सीवान सदर से विधायक मंगल पांडेय ने गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में मंत्री पद की शपथ ली। यह पहली बार है, जब वे बतौर विधायक मंत्री बने हैं।इससे पहले वे पिछली सरकार में विधान परिषद सदस्य के रूप में कैबिनेट में शामिल थे।जहां मंगल पांडेय को स्वास्थ्य मंत्री एवं विधि विभाग का जिम्मा मिला है।

मंगल पांडेय का प्रारंभिक जीवन
मंगल पांडेय सीवान जिले के महाराजगंज प्रखंड अंतर्गत बलिया गांव के निवासी हैं। जमीन से जुड़े नेता के रूप में उनकी छवि रही है। पिता अवधेश पांडेय के सरल एवं मिलनसार स्वभाव का छाप उनके भी व्यक्तित्य में दिखता है। मंगल पांडे का जन्म 9 अगस्त 1972 को भिरगु बलिया, महराजगंज, सीवान , बिहार में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उन्होंने 19 अप्रैल 1998 को उर्मिला पांडे से विवाह किया। वह भिट्टी “सहाबुद्दीन”, “बनियापुर”, सारण जिले की रहने वाली हैं। वह एक गृहिणी हैं। उनका एक बेटा है।मंगल पांडे ने 1987 में महाराजगंज, सिवान से अपनी माध्यमिक शिक्षा और देवी दयाल हाई स्कूल से विज्ञान में उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी की।
मंगल पांडेय का राजनीतिक करियर
1987 में, जब भारतीय जनता पार्टी देश भर में अपनी पकड़ बना रही थी, पांडे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हो गए। इस दौरान वे सरकार विरोधी पर्चे छापने, विरोध प्रदर्शन करने और प्रदर्शन आयोजित करने में शामिल हो गए। 1988 से उन्होंने आरएसएस की शाखाओं में जाना भी शुरू कर दिया और नियमित स्वयंसेवक बन गए।
वे 1989 में महाराजगंज से भाजपा के प्राथमिक सदस्य के रूप में शामिल हुए और महाराजगंज कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए। 1992 में, पांडे पार्टी की सीवान इकाई के कार्यसमिति सदस्य चुने गए और इस तरह उन्होंने पूर्णकालिक राजनीति में प्रवेश किया। 1988-89 के दौरान विश्व हिंदू परिषद के शिला पूजन कार्यक्रम के आयोजन में मदद करके उन्होंने पार्टी में अपनी स्थिति को और ऊँचा किया।1994 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा की राज्य कार्यसमिति में शामिल किया गया। थोड़े ही समय में, 1995 में उन्हें भाजयुमो के सारण क्षेत्र का प्रभारी बना दिया गया।
पांडे हमेशा पार्टी नेताओं की उम्मीदों पर खरे उतरे और इसके परिणामस्वरूप 1997 में उन्हें भाजयुमो के राज्य सचिव के रूप में एक और जिम्मेदारी मिली। राज्य सचिव के रूप में, उन्होंने पूरे राज्य में कड़ी यात्रा की और 1997-98 के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की स्वर्ण जयंती रथ यात्रा के सह प्रभारी थे।
2000 में उन्हें भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने तत्कालीन लालू यादव सरकार के खिलाफ “जवाब दो हिसाब दो” अभियान शुरू किया। इसके तहत पार्टी कार्यकर्ता तत्कालीन वाजपेयी सरकार द्वारा आवंटित धन का राज्य सरकार द्वारा किए गए खर्च का हिसाब मांगते थे।
जवाब न देने पर खंड विकास अधिकारियों के कार्यालयों में तालाबंदी कर दी जाती थी। यह अभियान बेहद सफल रहा। राज्य भर में 10,000 से ज़्यादा भाजयुमो कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया।पांडे को दो बार गिरफ्तार किया गया, पहले छपरा में, फिर मुजफ्फरपुर में; इससे उन्हें राज्य और पार्टी के बीच भारी लोकप्रियता मिली।2003 में उन्हें संगठन का क्षेत्रीय प्रभारी बनाया गया और बाद में 2005 में उन्हें बिहार भाजपा का प्रदेश महामंत्री बनाया गया। 2006 में श्री राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में उन्हें दूसरी बार प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंपा गया। वे 2008 और 2010 में दो और कार्यकालों तक इस पद पर बने रहे।
स्वास्थ्य मंत्री रहते किए गए उल्लेखनीय कार्य
स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसलों के कारण अलग पहचान बनाई, उन्होंने सीवान जिले में भी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कई काम किए है। उनके कार्यकाल में सीवान में मॉडल सदर अस्पताल बना व सीवान में मेडिकल कॉलेज जल्द ही खुलने वाला है। विधि मंत्री रहते मंगल पांडे के प्रयासों से सीतामढ़ी में मां जानकी का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। वे कई राज्यों में भाजपा के प्रभारी और चुनाव प्रभारी भी रहे हैं, जहां उनके रणनीति के चलते भाजपा को जीत मिली है। वर्तमान में वे पश्चिम बंगाल के भीप्रभारी हैं। मंगल पांडे को पार्टी के भीतर एक रणनीतिक और अनुशासित नेता नेता के रूप में जाना जाता है। चुनावी राजनीति में उनकी पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीवान की राजनीति में वे एनडीए के प्रभावशाली चेहरा माने जाते हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज कर पार्टी का जनाधार और मजबूत किया।
अंतर-राज्यीय राजनीति में पकड़
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद, पांडे ने देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बिहारियों से राजनीतिक समर्थन जुटाने की कोशिश की। वे राजनीतिक समर्थन के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक और कई अन्य राज्यों का अक्सर दौरा करते हैं। उन्होंने बिहारी आबादी वाले राज्यों में “प्रवासी बिहारी प्रकोष्ठ” का आयोजन किया। यह राज्य के मूल निवासियों और अप्रवासियों के बीच एक सेतु का काम करता है।
