“जो था, है और सदैव रहेगा भगवान हम सभी के साथ हैं”

Rakesh Gupta
- Sponsored Ads-

 

*श्रीमदभागवत कथा द्वितीय दिवस*

“जो था, है और सदैव रहेगा भगवान हम सभी के साथ हैं”

- Sponsored Ads-

बिहार न्यूज़ लाईव /  वाराणसी। श्री कृष्ण उत्सव सेवा समिति एवं वाराणसी केराना व्यापार समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रामकटोय स्थित चिन्तामणी बाग में प्रख्यात कथाकार पूज्य सुश्री लक्ष्मी मणी शास्त्री जी ने कथा के दूसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा के प्रारम्भ में बताया कि इसके मुख्य वक्ता श्री शुकदेव जी महाराज एवं श्रोता राजा परिक्षित थे, जिसे गंगा तट पर सुनाया गया।

श्रीमदभागवत में बारह स्कन्द, 335 अध्याय एवं 18,000 श्लोक समाहित हैं। इस महापुराण के आदिवक्ता भगवान विष्णु एवं आदि श्रोता ब्रह्मा जी हैं। पांच ज्ञान इन्द्रिय, पाँच कर्म इन्द्रिय ग्यारहवां, मनकुल एकादश इनको एकाग्र कर भगवत कथा सुने एवं भगवान के सभी अंगों के दर्शन से क्या लाभ होता है बताया। चरण दर्शन से पाप, रज से अज्ञान, जांघ से रोग, नाभि से व्याधि, बांह से भय, शक्ल से शत्रुनाश, कंठ से शोक, मुख से मुक्ति एवं मुकुट दर्शन मुक्तिदायक होता है। भगवान हमेशा हमारे पास शरीर में व्याप्त है, जो कि छायारूप में विराजमान है। भगवान जो भी करते हैं वह हमारे भलाई के लिए करते हैं हमें जो प्रतिकूल समझ आता है, वह हमारा प्रारब्ध होता है। कथा में अन्य छोटी – छोटी ज्ञानवर्धक जानकारी व्यास जी द्वारा दी गयी।

कथा में भैयालाल, कमल कसेरा, झल्लू प्रसाद, छेदीलाल, रामनारायण, राजेन्द्र प्रसाद क्षत्रिय, विनोद तलवार, अशोक कसेरा, विनोद कसेरा, अनिल कसेरा, महेश्वर जी, हरी लढ़ा का विशेष सहयोग रहा।

- Sponsored Ads-

Share This Article