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जयपुर: महिला आरक्षण बिल भाजपा की जुमलेबाजी- लांबा…

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महिला आरक्षण बिल भाजपा की जुमलेबाजी- लांबा
* भाजपा का रिजर्वेशन देने का इनका कोई इरादा
*सरकार खुद स्वीकार कर रही ,क्रियान्वयन 2029 से पहले नहीं
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बिहार न्यूज़ लाइव जयपुर डेस्क: जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा) कांग्रेस नेता अलका लांबा ने पीसीसी में प्रेसवार्ता कर कहा, महिला आरक्षण पर चर्चा हो रही है, इस देश की आधी आबादी को राजनैतिक भागीदारी और उनके सशक्तीकरण के लिए महिला आरक्षण आवश्यक है, जिसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर समर्थन करती है। महिला आरक्षण बिल पास हो गया, किंतु यह समझना आवश्यक है कि केंद्र सरकार की माने तो भी 2029 से पहले महिला आरक्षण संभव नहीं है।

अलका लांबा ने कहा कि आर्टिकल-82 और आर्टिकल-81 (3) से इस बिल को लिंक किया गया है, जिसके तहत साल 2026 में परिसीमन होगा उसके बाद जनगणना पर इसका दारोमदार रहेगा। सरकार यह खुद स्वीकार कर रही है कि क्रियान्वयन 2029 से पहले नहीं होगा तो संसद का विशेष सत्र बुलाना, ताम-झाम व साज-सज्जा केवल वाहवाही लूटने के लिए की गई। किंतु देश की आधी आबादी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। सरकार अविलंब साल 2011 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सम्मिलित करते हुए महिला आरक्षण बिल लागू करे।

लांबा ने कहा कि देश की महिलाओं ने महिला आरक्षण के लिए संघर्ष किया है, इसलिए महिला आरक्षण बिल तुरंत लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आनन-फानन में महिला आरक्षण बिल लाई, किंतु क्रियान्विति के लिए अभी भी 10-12 साल का इंतजार करना पड़ेगा। जो उसी प्रकार है, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 लाख रुपये हर बैंक अकाउंट में, दो करोड़ सालाना रोजगार, किसानों की आय दोगुनी करने, चीन को लाल आंख दिखाने जैसे जुमले दिए, किंतु वादे पूरे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल की क्रियान्विति होगी तो देश की आधी आबादी को ताकत मिलेगी, चुनी हुई महिला सांसद आधी आबादी के सशक्तीकरण, सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रहे अपराधारों के विरूद्ध बेखौफ होकर बोलेंगी तथा न्याय दिलाने का कार्य होगा।

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लांबा ने कहा कि भाजपा की तमाम महिला सांसद बिल पास होने पर प्रधानमंत्री को बधाई दे रही हैं। अच्छी बात है कि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बिल पास हुआ, किंतु यही महिला सांसद महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं, महिलाओं पर अत्याचार, उनके खिलाफ अपराध पर एक शब्द नहीं बोलती हैं। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल पारित होने के पश्चात महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ ही सशक्त और जागरुक महिलाएं संसद में आएंगी और सरकार की आंखों में देखकर महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएंगी। उन्होंने कहा कि जो नई महिला सांसद चुनकर आएंगी वे एक उदाहरण पेश करते हुए कुलदीप सेंगर जैसे अपराधी जो हत्या और दुष्कर्म के दोषी पाए गए उन्हें हटाने की गुहार लगाएंगी।

 

साल 2020 में जब भाजपा नेता चिन्मयानंद के खिलाफ एक लड़की ने यौन शोषण के आरोप लगाए। ऐसे मामलों में चुप नहीं बैठेंगी। उन्होंने कहा कि नई महिला सांसद वर्तमान भाजपा महिला सांसदों की तरह हाथरस में जब 19 साल की बेटी के साथ बलात्कार होने, बर्बरता होने तथा मृत्यु होने के बाद ढाई बजे रात को जब पुलिस प्रशासन बिना परिवार के दाह संस्कार करे तो चुप नहीं बैठेंगी।

 

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल से सशक्त होकर जो नई सांसद लोकसभा में आएंगी, वे देश की सबसे होनहार बेटियों जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया, उन्हें महीनों तक सड़कों पर बैठकर संघर्ष करते हुए, रोते, बिलखते, पुलिस द्वारा सड़क पर घसीटा जाते हुए नहीं देखेंगी। बल्कि बृजभूषण शरण सिंह को तुरंत पार्टी से निकालने, उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहेंगी। उन्होंने कहा, नई सशक्त महिला सांसद मणिपुर की घटनाओं पर मौन नहीं रहेगी। 78 दिन तक भयावह वीडियो का इंतजार नहीं करेंगी, बल्कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से तुरंत कार्रवाई करने की मांग करेंगी। उन्होंने कहा कि जो महिला सांसद इन सब मुद्दों पर मौन रहती हैं, सदन में नहीं बोलती हैं, उन्हें सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता महिला अपराधों के मुद्दे पर राजस्थान को बदनाम करने का कुप्रयास कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण नीति के बावजूद प्रति लाख महिलाओं के विरूद्ध अपराधों में राजस्थान छठे स्थान पर है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में राजस्थान में महिला दुष्कर्म के अपराध में औसतन 274 दिन जांच में लगते थे, जो अब घटकर 54 दिन रह गए हैं।

 

लांबा ने कहा, साल 1989 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी। लेकिन इसके लिए जब बिल पेश किया गया तो भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवानी, अटल बिहारी वाजपेयी, राम जेठमलानी ने इसके विरोध में वोट डाला। यह बिल लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में सात वोटों से गिर गया।

 

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण का विधेयक प्रस्तुत किया, जो पारित होकर कानून बना। कई राज्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की दूरदृष्टि से भारत में 15 लाख महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ, इनमें लगभग 40 प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं।

 

 

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