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जयपुर: पांच पार्टियों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की टेंशन….

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*पांच पार्टियों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की टेंशन
*50 से ज्यादा सीटों पर इस तरह बिगड़ सकता है गणित
*राष्ट्रीय दल बनने के बाद आप पूरी जोश के साथ मैदान में उतरेगी

बिहार न्यूज़ लाईव जयपुर डेस्क:  /(हरिप्रसाद शर्मा) राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अगले कुछ दिनों में आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस पूरी जोर शोर के साथ मैदान में डटे हुए हैं। पिछले 30 सालों में कभी भाजपा, तो कभी कांग्रेस राज्य की सत्ता पर काबिज हो रही हैं। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दल भी दमदारी के साथ मैदान में उतर रहे है। यह पांच दलों का यह तीसरा मोर्चा राज्य में 50 से ज्यादा सीटों पर गणित बिगाड़ सकता है। इस चुनाव आम आदमी पार्टी, बीएसपी, आरएलपी, भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी), माकपा और एमआईएमआईएम जैसी पार्टियों के नेता तो 100 से ज्यादा सीटों पर टक्कर बता रहे हैं। अगर इन पार्टियों ने चुनाव दमदारी से उतरी तो सरकार बनाने में यह किंगमेकर साबित हो सकती है।

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*आप 200 सीटों पर मैदान में, गंगानगर से खाता खुलने की उम्मीद

2018 के विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर लड़ने वाली आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। लेकिन राष्ट्रीय दल बनने के बाद आप पूरी जोश के साथ मैदान में उतर रही है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के कारण पार्टी कैसे चुनाव लड़ेगी, यह अभी पूरी तरह से साफ नहीं है। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि उनकी सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। खासतौर से गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझूनु और अलवर जिलों पर पार्टी खुद को मजबूत मान रही है। कार्यकर्ता पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल जो गारंटी देकर गए हैं, उसे घर तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल राजस्थान में गठबंधन जैसी कोई गाइडलाइन नहीं है। अगर शीर्ष नेतृत्व ऐसा कोई निर्णय लेता है, तो अलग बात है। सभी सीटों पर टिकट तय हो चुके हैं बस घोषणा करनी बाकी है। गंगानगर से हमारा खाता खुलेगा।

*ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इन सीटों से मैदान में

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी पहली बार चुनाव में उतरने की तैयारी में है। ओवैसी राजस्थान की मुस्लिम सीटों पर प्रभाव डालना चाहते हैं। राजस्थान में ऐसी 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं, जहां औवेसी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। प्रदेश के 18 जिलों में करीब 40 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या चुनाव हार-जीत में अहम रोल निभाती है। जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चुरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों में स्थित सीटों पर हर चुनाव में 16 के आस-पास मुस्लिम प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इन जिलों में शामिल करीब 24 सीटों पर मुस्लिम वोटर का समर्थन और नाराजगी चुनाव परिणाम प्रभावित कर देते हैं।

 

 

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