बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क: छपरा कार्यालय। बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर जयप्रकाश विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में “निराला साहित्य और वर्तमान परिप्रेक्ष्य” विषय पर एक दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया ! व्याख्यान का प्रारंभ दीपप्रज्वलन ,सरस्वती वंदना एवं निराला जी को पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया ।
परिचर्चा के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर अजय कुमार ने निराला की सभी विधाओं पर प्रकाश डालते हुए ज्ञानवर्धन किया ।
बीज वक्तव्य देते हुए डॉ. चंदन कुमात श्रीवास्तव ने”निराला साहित्य और वर्तमान परिप्रेक्ष्य” विषय को वर्तमान के धरातल पर उकेरा और विशिष्ट रचनाओं की जानकारी दी जिन्हें आज लोगों को पढ़ना चाहिए!
निराला के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनीता ने कहा कि निराला एक व्यक्ति नहीं विचार हैं ।जीवन के भीषण झंझावातों के बीच भी मानवता के अग्रदूत बने रहे ।
इस दृष्टि से निराला साहित्य की प्रासंगिकता के पूर्व उनके व्यक्तित्व की प्रासंगिकता शोध की अपेक्षा रखती है।एक सच्चा मानव होने के कारण ही राम का संघर्ष आम जन का संघर्ष बन जाता है; पुत्री का शोक हृदय विगलित गीत बन जाता है ; भिक्षुक , वह तोड़ती पत्थर, चतुरी चमार जैसी अनेकानेक रचनाएं एक नव्य दृष्टि की अपेक्षा करती हैं।विसंगतियों एवं विकृतियों के प्रति प्रखर प्रतिरोध के स्वर भी निराला साहित्य की विशेषता है।
मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर गजेंद्र कुमार ने इस संगोष्ठी को संबोधित कर छायावाद में उनके विशिष्ट पक्षों को विस्तार से प्रस्तुत किया!
विषय प्रवर्तन वक्तव्य में शोधार्थी रितु प्रिया ने निराला के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला ।इसके अतिरिक्त हिंदी विषय के पैट -22 के शोधार्थियों – शशि शेखर, वीरेंद्र कुमार साहू, दिवेश कुमार मिश्रा,सपना कुमारी, लता प्रासर, नेहा कुमारी ,अलका कुमारी, सिंधु कुमारी, नीलू महतो ,प्रीति सागर ,सीमा झा,हिमांशी कुमारी ,रणजीत राम, नौशाद आलम आदि ने अपनी- अपनी प्रस्तुतियां दीं साथ ही अपने पोस्टर एवं वक्तव्य से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई ।मंच संचालन का कार्यभार शोधार्थी मंजीत कुमार संभाल रहे थे और धन्यवाद ज्ञापन का कार्य शोधार्थी शशि शेखर ने किया!