Bihar News Live
News, Politics, Crime, Read latest news from Bihar

अररिया: ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है सामुदायिक शौचालय का लाभ

43

- sponsored -

 

सामुदायिक शौचालय नहीं,आलू गोदाम कहिए जनाब..

लाखों की लागत से बना सामुदायिक शौचालय गोदाम में तब्दील

आँगन में बनाया गया है सामुदायिक शौचालय किसी को उपयोग करने की अनुमति नहीं: ग्रामीण

नियम को ताक पर रखकर बनाया गया है सामुदायिक शौचालय: ग्रामीण

शिकायत के बाद भी ना कोई सुनवाई और ना कोई कार्रवाई: ग्रामीण

- Sponsored -

बिहार न्यूज़ लाइव अररिया डेस्क भरगामा से अंकित सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट.  भरगामा प्रखंड के शंकरपुर पंचायत में लाखों की लागत से बना सामुदायिक शौचालय गोदाम में तब्दील हो गया है. यहां सामुदायिक शौचालय आलू-प्याज के गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. मालूम हो कि शौचमुक्त के लिए सरकार की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए सामुदायिक शौचालय में भारी अनियमितता बरतते हुए नियम को ताक पर रख कर बनाया गया है. जिससे सरकार कि यह मंशा,कि लोगों को शौच के लिए इधर-उधर ना भटकना पड़े पर पानी नहीं आलू-प्याज फिर गया है. बता दें कि शंकरपुर पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन अभियान की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए खुले में शौचमुक्त के उद्देश्य को पलीता लगाते हुए सामुदायिक शौचालयों को निजी व्यक्ति के आँगन में बनाया गया है. जहां किसी भी ग्रामीणों को इस शौचालय का उपयोग करने की अनुमति शौचालय मालिक नहीं देते हैं. स्थानीय लोगों को सामुदायिक शौचालय का लाभ नहीं मिलने के कारण उन्हें खुले में शौच जाने को मजबूर होना पड़ता है. ताजा मामला शंकरपुर पंचायत के वार्ड संख्या 01 से जुड़ा हुआ है,जहां वार्ड 01 निवासी योगेन्द्र राम के आँगन में बने सामुदायिक शौचालय का गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. कहने को तो इस शौचालय का लोकार्पण जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में करीब 3 वर्ष पूर्व हीं कर दिया गया था,लेकिन लोकार्पण के बाद भी सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं.

क्या है योजना?

सरकार की अति महत्त्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे ऐसे लोग जिनके पास एकल शौचालय नहीं है उनके लिए खुले में शौचमुक्त के उद्देश्य से सामुदायिक शौचालय की सौगात दी गई है. जिनमें महिलाओं व पुरूषों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं. साथ हीं इस शौचालय को प्रयोग करने में किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगाया गया है. कहा जाता है कि इस शौचालय के संचालन पर प्रति माह छह हजार रुपये मानदेय व तीन हजार रुपये बिजली,साफ-सफाई व साबुन आदि पर खर्च किया जा रहा है,लेकिन यहां यह सब कागजों पर हीं खर्च हो रहा है. कुल मिलाकर अधिकारियों की अनदेखी से इस शौचालय की उपयोगिता सार्थक नहीं हो पा रही है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

शंकरपुर पंचायत के वार्ड संख्या 01 निवासी राधा देवी,लक्ष्मी कुमारी,मिसटू कुमारी,सरस्वती देवी,सीता देवी,बेचनी देवी,ममता देवी,मीरा देवी,वीणा देवी आदि का आरोप है कि संबंधित विभागीय अधिकारी समेत स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत के बाद भी उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. बताया कि सामुदायिक शौचालय में आलू-प्याज इत्यादि भरे होने के कारण उन्हें खुले में शौच जाने को मजबूर होना पड़ता है.

 

उक्त महिलाओं ने ये भी बताया कि उन्हें रात में या बारिश के समय में बाहर शौचालय जाने में काफी दिक्कतों व शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है. इतना हीं नहीं शंकरपुर पंचायत में दैनिक सफाई व्यवस्था की हालत भी काफी दयनीय है. वहीं इस संबंध में स्वच्छता पर्यवेक्षक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें किसी ग्रामीणों ने अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी है कि उक्त शौचालय उपयोग में नहीं है.

 

 

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- sponsored -

- sponsored -

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More