जयपुर: लैंगिक असमानता, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को दूर करें- मिश्र …

Rakesh Gupta
- Sponsored Ads-

 

 

*भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पूजन प्राचीन अनूठी परम्परा
*प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जलवायु परिवर्तन का परिणाम – राजे

बिहार न्यूज़ लाईव जयपुर डेस्क:  जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा ) राज्यपाल कलराज मिश्र ने देश में विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों पर भी ध्यान दिए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल संगठन समूहों को लैंगिक असमानता, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

- Sponsored Ads-

राज्यपाल मिश्र सोमवार को होटल क्लार्क्स आमेर में जी-20 के सहभागी समूह सिविल-20 (सी-20) के तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमयी देवी अम्मा द्वारा की गई।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति पूजन की प्राचीन और अनूठी परम्परा है, जिसके प्रति जागरूकता लाने का कार्य वृहद स्तर पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम-भाव रखते उनके संरक्षण की लोक परम्पराओं से आधुनिक पीढ़ी को जोड़े जाने की जरूरत है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि आर्थिक असमानता, लैंगिक विषमता को दूर करने और सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि मनुष्य एक दूसरे के प्रति प्रेमभाव रखे। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के उद्देश्य से देश की विकास योजनाओं, नीतियों को आम जन के अनुरूप ढालने में सिविल सोसायटी संगठन महती भूमिका निभा सकते हैं।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से विकास के रास्ते पर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और राष्ट्रीय मिशनों की शृंखला के मजबूत इकोसिस्टम के तहत गरीबी, लैंगिक और आर्थिक असमानता दूर करने के लिए प्रभावी योजनाएं लागू की गई हैं।
उन्होंने सिविल-20 समूह की सराहना करते हुए इसे जी-20 समूह देशों के आर्थिक हितों एवं नागरिक हितों के मध्य संतुलन स्थापित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अम्मा ने जी -20 की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को सही मायने में चरितार्थ किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा दोहन से बनी परिस्थितियों के परिणाम जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विषम जलवायु का सबसे अधिक दुष्प्रभाव महिलाओं, बच्चों, गरीबों और कमजोर वर्ग को झेलना पड़ता है।

 

उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संयमित और न्यायसंगत उपयोग के लिए सभी संस्कृतियों को साथ लेकर नीतियां बनाए जाने पर बल दिया। उन्होंने विश्व के विभिन्न भागों में चल रहे संघर्षों की ओर इंगित करते हुए कहा कि वर्तमान दौर युद्ध का नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध से नहीं संवाद और राजनय से निकाला जाना चाहिए।

माता अमृतानंदमयी मठ के वाइस चेयरमैन स्वामी अमृत स्वरुपानन्द ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर माता अमृतानंदमयी मठ की इंटरनेशनल ग्रासरूट्स सर्वे-2023 की रिपोर्ट का लोकार्पण भी किया।

 

 

- Sponsored Ads-

Share This Article