Bihar News Live
News, Politics, Crime, Read latest news from Bihar

बैसाखी का ऐतिहासिक महत्व इतिहास !

339

- sponsored -

 

बिहार न्यूज़ लाइव /

हमारी सनातन संस्कृति में प्रत्येक पर्व मनाने के पीछे कोई ना कोई विशेष उद्देश्य या कारण होते हैं “। बैसाखी भी एक ऐसा ही त्यौहार है जो प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को पंजाब व हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। वैसे तो सभी लोग इसे मनाते हैं परंतु विशेषकर किसानों के लिए इसका विशेष महत्व है। खेतों में रबी की फसल पक कर लहलहाती है जिसे देख कर किसान बहुत प्रसन्न होते हैं और इस त्यौहार को मना कर भगवान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके मंदिरों और गुरुद्वारों में जाते हैं और वहां पाठ और कीर्तन करते हैं। नदियों के किनारे मेले भी लगते हैं। पंजाबी लोग भांगड़ा नृत्य करके अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। विशेषतः सिख समुदाय पंजाब एवं देश भर में उल्लासपूर्वक मनाते हैं । “गुरु अमरदास जी” द्वारा इसे एक मुख्य सिख पर्व के रूप में स्थापित प्रचलित किया गया। बैसाखी सिख समुदाय में “नए सौर वर्ष” के प्रारंभ का प्रतीक भी माना जाता है । पंजाब कृषि प्रधान प्रदेश है, इस समय किसानों का कठोर परिश्रम रबी की फसल के रूप में तैयार होता है । फसल की कटाई हो जाती है और घर, खलिहान नये अनाज से भर जाते हैं। धरती माता और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का और अपना परिश्रम सफल होने का उल्लास मनाने का पर्व है बैसाखी। बैसाखी के अवसर पर गुरुद्वारों में रोशनी सजावट की जाती है, जुलूस निकाले जाते हैं, नगर संकीर्तन, शबद पाठ किया जाता है । अमृतसर में हरमिंदर साहिब स्वर्ण मंदिर में बैसाखी का मेला एवं जुलूस अत्यंत दिव्य एवं भव्य होता है। कहा जाता है कि ऋषि भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतारने के लिए जो तपस्या की थी वह बैसाखी के दिन ही पूर्ण हुई थी। बैसाखी को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रूप से मनाया जाता है, जैसे असम में बिहू, केरल में विशु और बंगाल में नबा बार्ष। वास्तव में यह दिन प्रकृति से जुड़ने का दिन है और हम सबको मिलजुल कर पूरे उत्साह के साथ यह त्यौहार मनाना चाहिए। 
 
खालसा पंथ की स्थापना

- Sponsored -

 
सिखों के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। इस दिन सिखों के दशम् पिता गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 में श्री आनंदपुर साहिब में ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी । उन खालसा योद्धाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने का पर्व भी है बैसाखी।‘खालसा’ खालिस शब्द से बना है। इसका अर्थ है– शुद्ध, पावन या पवित्र । इसके पीछे गुरु गोबिन्द सिंह जी का मुख्य उदेश्य लोगों को मुगल शासकों के अत्याचारों और जुल्मों से मुक्ति दिलाना था। खालसा पंथ की स्थापना द्वारा गुरु गोविन्द सिंह जी ने लोगों को जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव छोड़कर धर्म और नेकी पर चलने की प्ररेणा दी।
 
स्वाधीनता और बैसाखी
 
बैसाखी के त्यौहार को स्वतंत्रता संग्राम से भी जोडा जाता है।    इसी दिन वर्ष 1919 को हजारों लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे। यहां जनरल डायर ने हजारों निहत्थे लोगों पर फायरिंग करने के आदेश दिए थे। इस घटना ने देश की स्वतन्त्रता के आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- sponsored -

- sponsored -

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More